विमुद्रीकिण के मुद्दे पर आर्थिक मामलों के जानकार गोपाल अग्रवाल का साक्षात्कार
गोपाल कृष्ण अग्रवाल,
देश के आर्थिक विकास तथा भ्रष्टाचार एवं काले धन के उन्मूलन के दो महत्वपूर्ण जनादेश पर हमारी सरकार सत्ता में आई थी। इसलिए वर्तमान अर्थतंत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखकर हमें आगे की रणनीति तैयार करनी है।
अभी हाल ही में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार देश का 20 प्रतिशत काला धन सभी परिसम्पदा वर्ग जैसे रियल एस्टेट, स्वर्ण तथा कैश करेंसी आदि में विद्यमान है। इसी प्रकार विश्व सम्पत्ति रिपोर्ट 2016 से हमे पता चलता है कि देश की मात्र 1 प्रतिशत जनसंख्या का देश की 58 प्रतिशत से अधिक सम्पत्ति पर अधिकार है और भारत पूरे विश्व में रूस के बाद कान्सनट्रेशन आफ वेल्थ में दूसरे पायदान पर आता है। यही रिपोर्ट आगे लिखती है कि हमारे देश की 97 प्रतिशत आबादी की सम्पत्ति मात्र 10,000 डालर अर्थात् 7,00,000 रुपए से भी कम की है। एक सरकारी अनुमान के अनुसार भारत में नकद करेंसी का जीडीपी से अनुपात 12 प्रतिशत का है, यह अनुपात अन्तर्राष्ट्रीय तुलना में कहीं अधिक है। हमारे देश का वार्षिक बजट संसाधन बहुत ही सीमित है। कुल लगभग 5 लाख करोड़ रुपए का योजनागत व्यय-देश के आधारभूत विकास और सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। और जबतक जनता द्वारा दिया गया पूरा कर सरकारी खजाने तक नहीं पहुंचेगा तो यह राशी बढ़ नहीं सकती। लोगो को यह गलतफहमी है कि देश का हर नागरिक कर नहीं देता। जबकी देश का प्रत्येक नागरिक अप्रत्यक्ष करों के रूप में कर अदा कर रहा है, परन्तु यदि इस ट्रांजेक्शन को समुचित रूप से खाते में न डाला जाए तो यह कर सरकार के खजाने में नहीं पहुंचता। इस व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए लेन-देन सम्बन्धी ट्रांजेक्शन की बैंकिंग प्रणाली में रिकार्डिंग बहुत आवश्यक है।
विमुद्रीकरण का उद्देश्य है कि ऊपर दिये परिदृश्य को ठीक करना है। देश की आम जनता, जो कि आर्थिक विकास के अभी तक के दौर में पिछे छूट गई है उसे इसमें शामिल करना और अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आये एवं सभी को विकास के समान अवसर प्राप्त हो सके इसे सुनिश्चित करना आरम्भ से ही श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए।
सत्ता में आने के दूसरे दिन ही सरकार ने सबसे पहले एसआईटी का गठन किया गया, ताकि देश में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए नए उपाए किये जा सकें। फिर विदेशी अवैध परिसम्पदा घोषणा योजना को लागू किया गया ताकि विदेशों में जमा अवैध सम्पत्ति को राका जा सके। साथ में मॉरीशस, साइप्रस और सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय कर संधियों के पुननिर्धारण के द्वारा अधिकांश हवाला कारोबार रोकने का कदम उठाया। अमेरिका के साथ फाटका; FATCA कानून के अन्तर्गत वित्तीय सूचना साझा करने के लिए नई संधी की गई। उसी प्रकार (OECD) और जी20 देशों के साथ वित्तिय सूचना के आदान-प्रदान करने के लिए मोदी जी ने नई पहल की। जिसका देश के अंदर और विश्व स्तर पर भी स्वागत हुआ। देश के अन्दर के कालेधन को मुख्य धारा में लाने के लिए इनकम डिस्क्लोजर स्किम (आईडीएस) लाई गई। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बेनामी सम्पत्ति पर शिकंजा कसना जरुरी था इसलिए एक नवम्बर को बेनामी परिसम्पत्ति के कानूनों के प्रावधानो को पारित किया गया जोकि पिछले दस वर्षों से लम्बित पड़े थे। सरकार का प्रयास था कि संसद के पिछले सत्र में भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम एवं व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम में संशोधन करके इसे मजबूत किया जाए पर विपक्ष ने संसद ही नहीं चलने दी। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की पहल का महत्वपूर्ण अंग ही है कि पिछले ढाई वर्षों में लगभग 92 वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों पर दण्डित किया गया है। और अब सरकार विमुद्रीकरण के साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना लाई है ताकी उन लोगों को दण्डित किया जा सके जो वर्तमान में बैंकिग चैनलों में काला धन जमा कर रहे हैं।
काले धन के उन्मूलन और भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ने के लिए विमुद्रीकरण एक बड़ी योजना का हिस्सा है। यह देश के सभी भौगोलिक हिस्सों में एवं समाज के आम आदमी के आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण जरिया है। सरकार की इन सभी योजनाओं के फलस्वरुप आने वाले समय में हमारी अर्थव्यवस्था में कई सुधार लायेगी। हमारे देश में भारी मात्रा में कैश करेंसी के सर्कुलेशन के कारण अर्थव्यवस्था पर मांग का भारी दबाव था जिसके चलते आवास महंगे हो गये थे, आम आदमी का घर का सपना उसके हाथों से फिसलता जा रहा था। विमुद्रीकरण से रियल एस्टेट की कीमतें घट रही है तथा इससे सभी प्रकार की महंगाई और अधिक कम होगी।
सरकार को अधिक संसाधन प्राप्त होंगे जिसका इस्तेमाल सरकार गरीबों और अल्प आय ग्रुपों एवं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए और सामाजिक योजनाओं के लिए तेजी से करेगी। हम सब इससे कम ब्याज दर वाली अर्थव्यवस्था की तरफ बढ रहे है आवासीय ऋण, और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को कम दरों पर नए ऋण मिलेगें। सरकार जो जीएसटी ला रही है उससे अप्रत्यक्ष करों को कम करने में मदद मिलेगी, सुचारू कार्यान्वयन के लिए भी ढांचा तैयार हो गया है। नकली करेंसी का चलन अर्थव्यवस्था से हटाया गया है जिससे, आतंकवादी, माओवादी और लूट-खसोट जैसी आपराधिक गतिविधियां पर लगाम लगाया जा रहा है।
ऑनलाइन भुगतान तथा मोबाइल बैंकिंग के द्वारा जो ट्रांजेक्शन होती है उसकी कीमत प्रति ट्रांजेक्शन काफी कम बैठती हैं। इसका फायदा अर्थव्यवस्था को तुरन्त ही मिलेगा (ऑनलाइन भुगतान पर सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम के तहत जागरुकता की नई पहल की जा रही हैं)। लोगों द्वारा कर अनुपालन का स्तर बढने के कारण ही, तीसरी तिमाही की कर रिपोर्ट में; अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और प्रत्यक्ष कर संग्रह में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बैंकों के चालू खाते और बचत खातों में जमाधन की वृद्धि हुई है। इससे बैंको के पास जमा धन कि कीमत कम हो गई है इसके परिणाम स्वरूप बैकों ने सस्ते दर के फंड की उपलब्धता शुरु कर दी है। अभी स्टेट बैक ने अपना ऋण दर कम किया है।
अभी काले धन के संचालन के कारण अर्थव्यवस्था में कई विसंगतियां आ गई हैं इसे खत्म करने का प्रयास तभी पूर्ण सफल होगा जब लोग पूराने कालेधन को नई करेंसी में कन्वर्ट न कर सकें। इसीलिए सरकार कुछ कठोर नियमावलियों को लगातार ला रही है।
सरकार करेंसी की आवाजाही की कमी से पूर्ण रूप से अवगत है, परन्तु इसे जल्द सुलझा या जा रहा है। हम लोगों से ऑनलाइन भुगतान और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम द्वारा कम नकद अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने का आग्रह कर रहे हैं, परन्तु इसे लोगों में जागरूकता के द्वारा करेंगे, अनिवार्य नहीं बनाएंगे। सरकार सिस्टम में कैश करेंसी खत्म नहीं कर देगी, परन्तु उसे जीडीपी का लगभग 8 से 9 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखती है। सरकार इस बात से भलीभांति अवगत है कि करेंसी की इस कमी का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पढ़ सकता है, इसीलिए सरकार के पास जीडीपी के विकास और अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का अगला रोडमैप तैयार है।
इसलिए सरकार ने कई नई धोषणाए की है :
छोटे व्यापारियों की क्रेडिट गारंटी की सीमा बढ़ाकर सरकार ने 1 करोड़ से दो करोड़ रुपये करदी है। क्रेडिट लिमिट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करदी है। साथ ही डिजिटल लेन-देन की स्थिति में टैक्स को 8% की बजाय 6% पर कैलकुलेट करने से लघु उद्योग व व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
आम जनता को अपने घर की मरम्मत के लिए दो लाख रुपये के लोन पर ब्याज में तीन फीसदी की छूट का भी ऐलान किया गया है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी सरकार का सराहनीय कदम है। देश के 650 से ज्यादा जिलों में सरकारगर्भवती महिलाओं को पंजीकरण, डिलिवरी, टीकाकरण के लिए 6000 रुपये की मदद करेगी। ब्याज दर के कम होने से वर्ष्ठ नागरिकों को संकट उत्पन्न हो सकता है। इसीलिए वरिष्ठ नागरिकों को 7.5 लाख रुपए तक की जमा राशि पर 10 साल तक के लिए सालाना 8 प्रतिशत की दर से ब्याज का प्रावधान किया गया है।
अगले बजट में अधिक कर अनुपालन के मद्देनजर सरकार कराधान के दर कम करने की तरफ बढ़ सकेगी और पहली बार ईमानदारी का फल लोगों को प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा।
(लेखक भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)