विमुद्रीकरण सम्बन्धी तथ्य
गोपाल कृष्ण अग्रवाल,
देश
में इस पर
बहस चल रही
है कि क्या
विमुद्रीकरण से भ्रष्टाचार को
समाप्त करने और
काले धन के
उन्मूलन में मदद
मिल सकेगी। इसका
अर्थव्यवस्था पर अल्प,
माध्यमिक और दीर्घकाल में
क्या प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप
से ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे
लघु एवं मध्यम उद्योगों और
छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और
दैनिक मजदूरों आदि
पर इसका क्या
प्रभाव पड़ेगा। बड़े
आर्थिक सुधारों की
आवश्यकता है कि
हम डिजिटल अर्थव्यवस्था की
नई क्रांति की
तरफ बढ़ें।
विमुद्रीकरण सम्बन्धी हाल की घोषणाओं ने देश के आर्थिक परिदृश्य में भारी हलचल पैदा कर दी है। देश में इस पर बहस चल रही है कि क्या इससे भ्रष्टाचार को समाप्त करने और काले धन के उन्मूलन में मदद मिल सकेगी। इसका अर्थव्यवस्था पर अल्प, माध्यमिक और दीर्घकाल में क्या प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रो, छोटे लघु एवं मध्यम उद्योगों और छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और दैनिक मजदूरों आदि पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। बड़े आर्थिक सुधारों की आवश्यकता है कि हम डिजिटल अर्थव्यवस्था की नई क्रांति की तरफ बढ़े। विमुद्रीकरण को इसी परिप्रेक्ष्य में देखने की आवश्यकता है।
देश में आर्थिक विकास लाने तथा भ्रष्टाचार एवं काले धन के उन्मूलन के दो महत्वपूर्ण जनादेश पर हमारी सरकार सत्ता में आई थी। वर्तमान अर्थतंत्र को ध्यान में रखकर उसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को हमे देखना जरूरी हैः
- विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार देश का 20 प्रतिशत धन सभी परिसम्पदा वर्ग जैसे रियल एस्टेट, स्वर्ण तथा कैश करेंसी आदि में विद्यमान है।
- विश्व सम्पत्ति रिपोर्ट 2016 से पता चलता है कि देश की मात्र 1 प्रतिशत जनसंख्या का देश की 58 प्रतिशत से अधिक सम्पत्ति पर अधिकार है। भारत पूरे विश्व में रूस के बाद कान्सनट्रेशन आफ वेल्थ में दूसरे नम्बर पर आता है।
- हमारे देश की 97 प्रतिशत आवादी की कुल सम्पत्ति 10.000 डालर अर्थात् 7,00,000 रुपए से भी कम की है।
- भारत में नकद करेंसी का जीडीपी अनुपात 12 प्रतिशत है, जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की तुलना में कहीं अधिक है
- सरकार का वार्षिक चजट संसाधन बहुत ही सीमित है। कुल 5.5 लाख करोड़ रुपए का लगभग योजनागत व्यय-इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकताओं से निपटने के लिए किसी भी कीमत पर पर्याप्त नहीं है।
- देश का प्रत्येक नागरिक अप्रत्यक्ष करों के रूप में कर अदा कर रहा है. परन्तु यदि इस ट्रांजेक्शन को समुचित रूप से खाते में न डाला जाए तो यह आम जनता द्वारा दिया गया कर सरकार के खजाने में नहीं पहुंचेगा। इस व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए लेन-देन सम्बन्धी ट्रांजेक्शन की बैंकिंग प्रणाली में रिकार्डिंग बहुत आवश्यक है।
विमुद्रीकरण का विश्लेषण ऊपर दिये परिदृश्य को ध्यान में रखकर करना आवश्यक है। आरम्भ से ही श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा निचे दिए गए कई उपायों में यह एक मह्त्वपूर्ण कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं
सत्ता में आते ही दूसरे दिन से सरकार ने इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कई कड़े कदम उठाएः
1.
श्री मोदी के सत्ता में आते ही एसआईटी का गठन किया गया, ताकि देश में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए उपाए किये जाएं।
2. विदेशी अवैध परिसम्पदा घोषणा योजना।
3. मॉरीशस, साइप्रस और सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय कर संधियों पर पुनः वार्ता, जिस के माध्यम से अधिकांश हवाला कारोबार होता था।
4. फाटका: FATCA के अन्तर्गत वित्तीय सूचना साझा करने के लिए अमेरिका के साथ संधी।
5. (OECD) और जी20 देशों के साथ वित्तिय सूचना के आदान-प्रदान करने के लिए मोदी जी की पहल।
6. इनकम डिस्क्लोजर प्लैन (आईडीएस)
7. बेनामी परिसम्पत्ति के कानूनों के प्रावधानों का पारित किया जाना, जोकि पिछले दस वर्षों से लम्बित पड़ा था।
8. संसद को वर्तमान सत्र में भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम एवं व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम में संशोधन बिल पेश करना।
9. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाना यह उन लोगों को दण्डित करने के लिए हैं. जो बैंकिग चैनलों में काला धन वर्तमान में घोषित करते हैं।
10. अभी के ढाई वर्षों में लगभग 92 वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों पर दण्डित किया गया है जो विगत वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा है।
काले धन के उन्मूलन और भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ने के लिए विमुद्रीकरण एक बड़ी योजना का हिस्सा है। यह देश के सभी भौगोलिक हिस्सों में एवं समाज के आम आदमी के आर्थिक विकास के लिए समान एवं पारदर्शी अवसरों को प्रदान करने की प्रक्रिया का एक जरिया है।
विमुद्रीकरण के लाभ
- भारी मात्रा में कैश करेंसी के सर्कुलेशन के कारण अर्थव्यवस्था पर मांग का भारी दबाव था. जिसके चलते आवास आदि महंगे हो गये थे, आम आदमी का घर का सपना उसके हाथों से फिसलता जा रहा था। विमुद्रीकरण से रियल एस्टेट की कीमतें घटेगी तथा इससे सभी प्रकार की महंगाई भी कम होगी।
- गरीबों और अल्प आय ग्रुपों एवं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए और सामाजिक योजनाओं के लिए सरकार को अधिक संसाधन प्राप्त होंगे।
- इससे कम ब्याज दर वाली अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने में मदद मिलेगी, आवासीय ऋण, गरीबों के और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को कम दरों पर ऋण मिल सकेंगे।
- जीएसटी जिससे की अप्रत्यक्ष करों को कम करने में मदद मिलेगी, उसके सुचारू कार्यान्वयन के लिए ढांचा तैयार होगा।
- नकली करेंसी को अर्थव्यवस्था से हटाया जा सकेगा, आतंकवादी, माओवादी घटनाएं और लूट-खसोट जैसी आपराधिक गतिविधियां पर लगाम लगेगा।
- ऑनलाइन भुगतान तथा मोबाइल बैंकिंग के द्वारा जो ट्रांजेक्शन होती है उसकी कीमत प्रति ट्रांजेक्शन काफी कम बैठती है। इसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा (ऑनलाइन भुगतान पर सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम के तहत जागरुकता की नई पहल की गई हैं)
- लोगों द्वारा कर अनुपालन का स्तर देश में बढ़ेगा।
तीसरी तिमाही की कर रिपोर्ट से पता चलता है:
- अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- प्रत्यक्ष कर संग्रह में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
सरकार करेंसी की आवाजाही की कमी से पूर्ण रूप से अवगत है, परन्तु इसे जल्द सुलझा लिया जाएगा। हम लोगों से ऑनलाइन भुगतान और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम द्वारा कम नकद अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने का आग्रह कर रहे है. परन्तु हम इसे लोगों में जागरूकता के द्वारा करेंगे. इसे अनिवार्य नहीं बनाएंगे। सरकार सिस्टम में कैश करेंसी खत्म नहीं कर देगी, परन्तु उसे जीडीपी का लगभग 8 से 9 प्रतिशत तक रखने का प्रयास करेगी।
सरकार इस बात से भलीभांति अवगत है कि करेंसी की इस कमी का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
इसलिए सरकार द्वारा जीडीपी के विकास और अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का रोडमैप तैयार है:
(क) बैंकों के चालू खाते और बचत खातों में जमाधन की वृद्धि होगी। इससे बैंकों के पास जमा धन कि कीमत कम होगी और इसके परिणाम स्वरूप सस्ते दर के फंड की उपलब्धता बढ़ेगी।
(ख) लघु एवं मध्यम क्षेत्रों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप, स्टैंडअप, मुद्रा ऋण कम व्याज दरों पर दिया जाए इस पर ध्यान दिया जाएगा।
(ग) रियल एस्टेट की कीमतों में गिरावट और ईएमआई का रेट कम करने से आवास आम लोगों की पहुंच में आ सकेगा तथा इससे निर्माण उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
(घ) अधिक कर अनुपालन से सरकार कराधान के दर कम करने की तरफ बढ़ सकेगी और पहली बार ईमानदारी का फल लोगों को प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा।
(ङ) काले धन के संचालन के कारण अर्थव्यवस्था में कई विसंगतियां आ गई हैं, इसे खत्म करने का प्रयास तभी पूर्ण सफल होगा जब लोग पुराने कालेधन को नई करेंसी में कन्वर्ट न कर सकें। इसीलिए सरकार कुछ कठोर नियमावलियों को ला रहीं हैं।
(च) करापूर्ति में वृद्धि और अधिक संसाधनों से. सरकार भारी निवेश कर सकेगी और सामाजिक क्षेत्र में व्यय से आम आदमी के जीवन की उत्कृष्टता में भी सुधार आएगा।
(छ) जीएसटी के कार्यान्वयन से अप्रत्यक्ष करों में कमी आएगी। इसके लिए सही इकोसिस्टम की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार वातावरण बना रही है, ताकि लेन-देन को समुचित पारदर्शी रूप से रिकार्ड किया जा सके।
काले धन के उन्मूलन और भ्रष्टावार से लड़ाई लड़ले के लिए विमुद्रीकरण एक बड़ी योजना का हिस्सा है। यह देश के सभी भौगोलिक हिस्सों में एवं समाज के आम आदमी के आर्थिक विकास के लिए समान एवं पारदर्शी अवसरों को प्रदान करने की प्रक्रिया का एक जरिया है।
(लेखक भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता है)