कोरोना वायरस का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव एवं निदान
कोरोना
वायरस से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को एक ज़बरदस्त झटका लगा है। वैश्विक स्तर पर
यूरोप, चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर सभी देशों की अर्थव्यवस्था आधारित है।
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो गई है।
और आने वाले दौर में तीसरे पायदान पर पहुँचने का लक्ष्य रख कर बढ़ रही है।
कोरोना कि आपदा ने पहले चीन को झटका दिया। पर चूंकि वहां प्रजातंत्र नहीं है और सरकार का जबरदस्त डंडा चलता है तो उसने डंडे के जोर पर इस महामारी को रोक लिया ।
लेकिन क्योंकि वहाँ प्रजातंत्र नहीं है और सरकार
का ज़बर्दस्त डंडा चलता है तो उसने डंडे के ज़ोर पर इस महामारी को रोक लिया। जैसी
जानकारी मिल रही है वहाँ आर्थिक गतिविधि पुनः चालू हो रही है जिसके कारण बड़ी
आशंका पूरे विश्व में फैल रही है कि सही समय पर इस त्रासदी की सूचना विश्व स्तर पर
चीन से नहीं मिली।
यूरोप
खासकर इटली और स्पेन में महामारी फैल गई है और वहाँ की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा
गई है और ये देश अपने आप को विवश महसूस कर रहे हैं। यूरोप और अमेरिका की स्वास्थय
सेवाएं बहुत अच्छी मानी जाती है। अमेरिका में अभी देखना पड़ेगा कि वह कैसे और
कितना इससे जूझने में सफल होता है। भारत में यह महामारी अपना पाँव पसार रही है और
आगे कितना हम इसको संभालने में सफल होते हैं यह आने वाला समय बताएगा।
अगले
20 दिन महत्वपूर्ण है कि हम महामारी को जन भागीदारी और प्रबल इच्छा शक्ति से कितना
रोक लेते हैं, नहीं तो भारत की अर्थव्यवस्था को भी यह हिलाकर रख देगा। भारत की
अर्थव्यवस्था में कई चुनौतियां पहले से मौजूद थी। वैश्विक स्तर पर पहले से ही चीन
और अमेरिका का औद्योगिक संघर्ष चल रहा था। वैश्वीकरण के दौर के विपरीत सभी देश
अपने आंतरिक आर्थिक विकास पर ज़्यादा ध्यान दे रहे थे। भारत ने उस चुनौती को ध्यान
में रखकर RCEP
से अपने को अलग किया, फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) आसीयान देशों के साथ समझौतों पर पुनः विचार की प्रक्रिया प्रारंभ कर
दी थी। और बजट 2020 में कस्टम ड्यूटी एवं इंर्पोट टियूटी
कई सामानों पर बढ़ा दी थी। जिससे हमारे छोटे और मझौली व्यापारियों को बडी राहत
मिली है।
भारत
सरकार जिस तरह से अब सोच रही है उस पर जल्द ही और आगे बढ़ेगी तो हमारे
मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों को बड़ा सहारा मिलेगा। पेट्रोलियम पदार्थो के दाम भी
विश्व में काफी गिर गए हैं इससे भारत को बडी राजकोशीय राहत मिल रही है। अभी
आवश्यकता है कि जो हमारे दिहाड़ी मज़दूर हैं, रेहड़ी लगाने वाले लोग हैं और
अनऑर्गेनाइज सैक्टर के कर्मचारी है इनको आने वाले एक / दो महीने में सीधे धन की उपलब्धता को पूरा करने की। यह आवश्यक है कि
उन्हें उनका वेतन मिलता रहे और उनके दैनिक कमाई की चरमराई व्यवस्था जब तक पुनः
चालू नहीं होती तब तक उनके खाते में पैसे पहुँचते रहे। सरकार ने सभी कर्मचारियों
को वेतन दिलवाने का निर्णय कर दिया है।
कॉर्पोरेट
और व्यापार जगत के लोगों को भी इन दो तीन महीने की उथल-पुथल में सहयोग की
आवश्यक्ता है जिसको ध्यान में रखके वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि हम एक राहत
पैकेज लेकर आ सकते हैं जिसका ऐलान जल्द होगा।
वित्तमंत्री
ने अपने मीडिया ब्रीफिंग में कुछ निम्नलिखित महत्वपूर्ण घोषणाएं की थी जिससे हमारे
आर्थिक जगत को तुरंत राहत मिलेगी। उन्होने घोषणा की कि हम statutory
and regulatory compliance से जुड़ी एक विस्तृत योजना लेकर आए है
ताकि कंपनियों को इंकम टैक्स या IBC कोड से जुड़े नियमों
को पालन करने में कोई दिक्कत ना हो। फाइनेंशियल ईयर 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 30 जून होगी। देर से रिटर्न फाइल करने पर लगने वाला ब्याज भी घटा दिया
गया है। पहले इस पर 12 फीसदी ब्याज देना पड़ता था जिसे
घटाकर अब 9 फीसदी कर दिया गया है।
आधार से पैन कार्ड लिंक करने की आखिरी
तारीख, विवाद से विश्वास (Vivaad se Vishwas) स्कीम
की अंतिम तिथि , GST रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख,
सबका विश्वास (Sabka Vishwas) स्कीम की डेडलाइन और
कस्टम्स क्लीयरेंस से जुड़े मामलों का निपटान सभी की तारीख 30 जून 2020 कर दी गई है।
ऐसी अनेक घोषणाएं वित्त मंत्री के द्वारा
कि गई उससे व्यापार जगत को राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री
ने अपने कल के संदेश में 21 दिन के कर्फ्यू की घोषणा की है, और सभी प्रकार की
ज़रूरी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दिया है। इसलिए
आवश्यक है कि इन 21 दिनों की विकट परिस्थिति में हम अपना धैर्य नहीं खोएं। इस
समस्या के निदान के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और सामुहिक प्रयास की बहुत आवश्यकता है ।
हमें विश्वास है कि इस समस्या के निदान के साथ हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होकर
उभरेगी।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आर्थिक प्रकोष्ठ, भाजपा