Wednesday, 3 August 2022

बड़ी आर्थिक चुनोतिया लेकिन चिंता की जरुरत नहीं

 बड़ी आर्थिक चुनोतिया लेकिन चिंता की जरुरत नहीं

गोपालकृष्ण अग्रवाल

आर्थिक विषज्ञ


आज भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई लोग बहुत चिंतित हैं। कोग्रेस की जाट के उपरांत वैश्विक स्तर पर कई देशों की अर्थव्यवरथा चरम गई है। कुछ देन अभी भी उस अवस्था से नहीं निकाल पाए है, लेकिन भारत उन कुछ देशों में शुमार है, जो अपनी आर्थिक स्थिति संभालने में सक्षम हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय वित्तीय संस्कार टिव बैंक एवं वित मंकेनेसह पर चालते हुए देश के आर्थिक विकासको सही पटरी पर ला दिया है। जना को जागरूकता, नेतृत्व के निर्णय में विश्वास और संकल्प का इसमें बड़ा योगदान है।

आज हमारी अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ रही है। हमारे सारे व्यापक आर्थिक पैमाने जैसे मुद्रा भहार, विदेशी पिवेशनांत में लगातार बढ़ोतरी मुई के और जीएसटी संग्रह भी लगातार बढ़ रहा है। हा माह नीएसटी संग्रह 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा हो रहा है। प्रत्यक्ष कर के संग्रहण में भी 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

हमारी आर्थिक प्रगति में देश एवं विदेशी निवेशकों का विश्वास बरकरार है। वैसे आर्थिक जगत की कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं। विश्व स्ता पर मुद्रास्त बहुत बढ़ रही है लेकिन यूरोप एवं अमेरिका के अनुपात में भारत इस चुनौती को बेहतर संभाली। भारत में मुद्रास्फीति ? प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक एवं विस मंत्री ने संसद में कहा है कि हम इससे जल्द निपट लेंगे। कच्चे तेल की कीमत बहुत बढ़ गई है। समस्या यह है भारत 70 प्रतिशत तेल आयात करता है. जिससे हमारे रुपये की कीमत पर असर पड़ता है। सरकार रिजर्व बैंक के माध्यम से रुपये के मूल्य को भी निधारित कर की है। सरकार ताल की कीमत को रूस, ईरान से तेल आयात कर और आंतरिक रूप से वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत बढ़ाकर संभाल रही है। उपर अच्छी बात है कि अब कच्चे तेल के दाम लगातार घट रहे हैं, तो तेल आयात सस्ते भाव पर होने लगेगा।

पीएल आई के माध्यम से सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को समर्थन देकर घरेलू उत्पादन बढ़ा रही है, जिसके कारण हमारा निर्यात बढ़ रहा है। रक्षा क्षेत्र में भी सरकार ने घरेलू खरीद को बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया है। सरकार आधारभूत ढांचे जैसे एयरपोर्ट, सड़क, जल मार्ग, रेल मार्ग में महत्वपूर्ण निवेश कर रही है, जिससे बहुत लाभ हो रहा है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस और ईन ऑफ लिविंग के साथ बाजार में साल बड़े एवं उसके फलस्वरूप देश में निजी निवेश बढ़ जाए, तो इसका प्रभाव रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर भी पढ़ेगा। बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है सरकारी विभागों में 10 लाख नियुक्तियों की घोषणा हुई है।

सरकारको जन-कल्याण योजनाएं भी कारगर साबित ही सही है। वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री सही कहते हैं कि तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर है औरराम आर्थिक संकटसे अच्छी तरह न्यूझ रहे हैं। हमारी आर्थिक स्थिति कई श्रीलंका, पाकिस्तान या बांगलादेश आदि देशों को तय नहीं है। देशका सामूसिंकाय एवं सफल नेतृत्व हमें स्वतंत्रता के अमृत महोलाय पर आने वाले अमृत काल के लिए मजबूत नीव प्रदान कर रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था को और तेज गति से आगे बढ़ना है और विश्व पटल पर जी मंदी की मार पड़ की है, उसके प्रभाव से भी बचना है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार हमें जल्दी ही करने पड़ेगे। इसमें महत्वपूर्ण है बिमाती उत्पादन एवं वितरण में प्रदेश स्तर पर मुफ्त बिजली देने से हो रहा घाटा इससे रोकना पड़ेगा। दुखद है, रेवड़ी के रूप में पंजाब जैरो कई प्रदेश बोट बटोरने के लिए पैसा चांटना चाहते हैं। इस प्रवृत्ति को जनता के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए रोकना पड़ेगा।

आर्थिक सुधार के तहत श्रम सुधार भी लाना है। कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव को आवश्यकता है। अमेरिका, यूरोपीय देशों, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात से मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए सरकार पहल कर रही है। सरकार जानती है कि अगर देश को विश्व में ऊंचा स्थान प्राप्त करना है, तो आर्थिक मजबूती आवश्यक है। सुधार के प्रयास लगातार चल रहे हैं। चुनौतियां अवश्य हैं. पर चिंता की जरूरत नाहीं।

तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था सही पटरी पर है और हम आर्थिक संकट से अच्छी तरह जूझ रहे हैं।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)