प्रिय बन्धुवर,
सादर प्रणाम
देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो गौसेवा के लिए
समर्पित है और यह धार्मिक दृष्टिकोण पर आधारित है, और दूसरी तरफ कुछ लोगो का मत
आर्थिक दृष्टिकोण पर है। इस विषम परिस्थिति का सामंजस्य परिपक्वता से ही होता है
जिसमें वैचारिक समरसता की आवश्यकता है। यह सक्षम सामाजिक नेतृत्व द्वारा ही संभव
है। जितना इस विषय का राजनितिकरण होगा उतनी ही समस्या और उलझ जाएगी।
पहले कुछ बौद्धिक एवं मीडिया के लोगो ने राजनेतिक
उदेश्य से गौसेवा और दलितों के एक वर्ग के कार्यो में विरोधाभास के भावों को उजागर
करने का प्रयास किया जिसका दूरगामी परिणाम घातक है। समाज के ज्यादातर कार्यों एवं
क्षेत्रों में कुछ न कुछ विरोधाभास तो अवश्य होते है। समाजशास्त्रियों को चाहिए कि
इन्हें समन्वित कर के सभी के लिए साथ चलने का मार्ग प्रशस्त करें।
इन्हीं परिस्थितियों का परिणाम हमें नोएडा में भी
देखने को मिला। जिसके तहत कुछ पत्रकारों ने विशेषकर दैनिक जागरण के प्रत्रकार
ने गौशाला की कुछ समस्याओं को गलत ढंग से पेश किया। समस्याएं अपनी जगह ठीक है।
गौशाला प्रबंधन उनका निस्तारण करने में प्रयासरत है। प्राधिकरण भी यथायोग्य सहयोग
कर रहा है। हमें विश्वास है कि हम अपने गौसेवा के उद्देश्य में बिना विचलित हुए
आगे बढ़ते रहेगें।
आपका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमें सतत आगे भी
प्राप्त होता रहेगा।
नोएडा प्राधिकरण बाडों से निकले गोबर, गौमूत्र और
गंदे पानी के निकासी के लिए नीलियों का निर्माण कार्य शीध्रता से संपन्न करेगें। गौशाला में रोज निकलने वाले गोबर
के निस्तारण का भी आश्वासन पाधिकरण ने दिया है। बाडों के बीच में कच्ची मिट्टी पर
इंटरलाकिंग टाईल्स भी लगाने का हमने उनसे निवेदन किया है और तालाब की खुदाई भी
करवाना है। हमलोग अपनी तरफ से भी इनसभी कार्यो को आगे बढाएगें।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल
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