सबल विदेश नीति, सक्षम अर्थव्यवस्था
मोदी के प्रयासों
से भारत निवेश और व्यापार के लिए आकर्षक जगह बना
भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख लक्ष्य है भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास। भारत 2032 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन कर 175 करोड़ रोजगार के सृजन का लक्ष्य प्राप्तस करना चाहता है तो विदेश नीति को घरेलू आर्थिक सुधारों के साथ जोड़ना जरूरी है। तभी हम विदेशी पूंजी को बड़े पैमाने पर आकर्षित कर पाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने विश्व के महत्वपूर्ण नेताओं के साथ जो व्यक्तिगत घनिष्ठता स्थापित की है, उसने भारत को नया आत्मविश्वास प्रदान किया है। यहां तक कि विश्व की दो बड़ी शक्तियों अमेरिका और चीन के साथ संतुलन स्थापित करने में भी भारत के हित को ध्यान में रखा गया है।
यात्राओं का असर
अभी जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन और अमेरिका के आपसी संबंध तनावपूर्ण दिखे, लेकिन भारत के प्रति दोनों का रवैया मैत्रीपूर्ण था। पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में कई प्रकार की समस्याएं उभर कर आ रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अगर फिर 2008 जैसा संकट आया तो पश्चिमी देशों की सरकारे अपनी वित्तीय संस्थाओं को संभाल नहीं पाएंगी। मोदी जी ने वैश्विक स्तर पर लोगों के मन से यह शंका पूरी तरह निकाल दो है कि भारत आने वाले समय में आर्थिक शक्ति के रूप में नहीं उभर पाएगा। उन्होंने भ्रष्टाचार, पारदर्शिता, व्यापार का सरलीकरण और आर्थिक सुधारों की प्रतिवद्धता को लेकर सभी का भ्रम दूर कर दिया है। सरकार ने कर प्रणाली में सुधार के साथ-साथ कॉरपोरेट कानूनों में बदलाव भी किया है। संसाधनों के निष्पक्ष आवंटन, परियोजनाओं को समयबद्ध सरकारी अनुमति और प्रशासनिक बाधाओं को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है
मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया, डिजिटल कट इंडिया, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत, स्वच्छ गंगा, नी जीएसटी जैसी नई परियोजनाएं व नीतियां शुरू बदी कर देश के विकास की नई रूपरेखा तैयार की यह है। रुकी हुई परियोजनाओं के पुनर्संचालन व आने विदेशी निवेश संबंधी नीति को उदार बनाकर नहीं भारत में निवेश आसान बना दिया गया है। र्शता, विश्व व्यापार क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार संबंधों व सुधारों समझौतों का महत्व अब बहुपक्षीय समझौतों से न दूर ज्यादा हो गया है। बहुपक्षीय व्यापार संगठनों सुधार पर सभी देशों को एकमत करना कठिन होता बदलाव जा रहा है। इसलिए आसियान, ब्रिक्स और वंटन, अफ्रीकी देशों के संगठन जैसे छोटे-छोटे समूहों अनुमति और द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों को भारत करने के के आर्थिक एवं सामरिक हितों को बढ़ावा देने के लिए अधिक महत्व दिया जा रहा है।
पिछले दो वर्षों में मोदी जी ने 42 से अधिक देशों का दौरा किया, जिनमें हर द्विपक्षीय वार्ता के केंद्र में आपसी आर्थिक विकास को रखा। उनकी पहल से भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल में एकीकृत परिवहन नीति बनी। उत्तर- पूर्व से म्यांमार तक सड़क परियोजना प्रारंभ हुई जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। द्विपक्षीय पहलकदमियों के तहत मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ वर्षों से लंबित भूमि सीमा विवाद समझौता और सामुद्रिक सीमा समझौता किया। अफगानिस्तान में भारत द्वारा समर्थित विकास परियोजनाओं को गति प्रदान की। भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह के निर्माण का त्रिपक्षीय समझौता (भारत-अफगानिस्तान-ईरान) आनेवाले समय में बहुत महत्वपूर्ण होगा।
भारत-जापान संबंध लगातार मजबूत हो रहा है। जापान हमारे आधारभूत ढांचे के निर्माण में विशेष सहयोगी है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ प्रगाढ़ संबंधों के चलते जर्मनी भारत की तकनीकी और पूंजीगत जरूरतें पूरी कर रहा है। जर्मनी का नदियों के संरक्षण का अनुभव हमारे गंगा सफाई अभियान के लिए आवश्यक है। फ्रांस के साथ साझा कार्यक्रम के तहत हमने सौर ऊर्जा समझौता किया है, जिसका मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में बनाया गया है। मोदी जी ने मध्य एशिया के साथ भी रिश्ते बेहतर किए हैं। उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे देश हमारी ऊर्जा जरूरतों के लिए अहम हैं। अफ्रीकी देशों के साथ आदान-प्रदान बढ़ाने की दृष्टि से दिल्ली में पिछले साल इनका सम्मेलन आयोजित किया गया था, जो बेहद सफल रहा। मोदी जी ने एक दूरदर्शितापूर्ण कदम उठाते हुए अनिवासी भारतीयों को देश की विकास प्रक्रिया से जोड़ा।
मोदी जी की विदेश नीति के कई सार्थक आर्थिक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। 2015 में भारत विश्व में सबसे ज्यादा एफडीआई प्राप्त करने में सफल हुआ है, जिससे विकास की कई बाधाएं दूर हुई। हमें लगभग 200 अरब डॉलर निवेश का आश्वासन अलग-अलग देशों से प्राप्त हुआ है। 2014 में भारत का कुल आयात-निर्यात क सकल घरेलू उत्पाद का 46 प्रतिशत था, जिसे अगले दशक में दोगुना करने का लक्ष्य है। । 2019 तक हम विश्व के अग्रिम स्टार्टअप वाले . देश बन जाएंगे और व्यापार के क्षेत्र में सरलता - की दृष्टि से 50 वें पायदान के ऊपर आ जाएंगे। देश में 60 फीसदी डिजिटल पेनीटेशन हो । जाएगा। 2022 तक हमारे उद्योग जगत का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 15 पर्सेट से बढ़कर 25 पर्सेट हो जाएगा।
भ्रष्टाचार और काला धन
■ पहले जिन विषयों पर हम बचाव की मुद्रा में थे, उन पर चल रही विश्वस्तरीय चर्चाओं में मोदी जी की पहल साफ नजर आ रही है। जी-20 सम्मेलन में मोदी जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भ्रष्टाचार और कालेधन पर जीरो टॉलरेंस होना चाहिए। हमे विनीय चोरों की शरणस्थली टैक्स हैवन समाप्त करने हैं और इनको बढ़ावा देने वाली विश्व की कठिन कर संरचना और बैंकिंग प्रणाली को पारदर्शी बनाना है। मोदी जी की ऐसी पहलकदमियों को पूरी दुनिया का समर्थन मिल रहा है।
No comments:
Post a Comment