Monday 24 May 2021

मेल खाते हैं टूलकिट निर्देश कांग्रेस नेताओं के वक्तव्यों से'

 विपक्ष महाभारत के धृतराष्ट्र की बात याद रखे - 'वयं पंचाधिकम् शतम्' अर्थात् दुश्मन से लड़ने के लिए हम एक सौ पांच हैं, सौ और पांच नहीं

टूलकिट कांग्रेस प्रायोजित है या नहीं, इसका फैसला कानून करेगा

महामारी एंव आपदा प्रबंधन किसी भी सरकार लिए मुश्किल होता है। जब भी देश में ऐसा कोई संकट आया है सारा देश संकट से निजात पाने के लिए सामूहिक रूप से खड़ा हो गया। कोरोना की दूसरी लहर ने सभी को हिला कर रख दिया है। इसके गहरे जख्म लम्बे समय तक जहन में रहेंगे।

कोरोना से जंग लड़ रहे फ्रंटलाइन कार्यकर्ता रात-दिन एक कर रहे है। सभी को उम्मीद है कि विपक्ष सकारात्मक भूमिका निभाएगा, पर विपक्ष ने पूरी तरह निराश किया है।

राहुल गांधी जी तो केवल ट्विटर पर ही जिम्मेदारी की इतिश्री कर रहे हैं। जमीन पर कांग्रेस के कार्यकर्ता बहुत कम काम करते हुए दिखे। जो कुछ लोग कर रहे थे, उनकी मंशा पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है कि क्या वे एजेंडे के तहत ऐसा कर रहे थे, क्योंकि टूलकिट में सोची-समझी रणनीति के तहत अस्पताल के बेड जानबूझ कर खाली रखने की साजिश का जिक्र किया गया है। टूलकिट में कई अहम खुलासे हुए है। जिसने भी यह टूलकिट लिखा है, वह इरादतन बहुत ही घिनौना उद्देश्य लेकर कार्य कर रहा है। कोरोना वायरस के ज्यादा संक्रामक स्ट्रेन को वह भारत सेव जोड़ने की साजिश रच रहा है। यही नहीं, मोदी स्ट्रेन जैसे नेरेशन को बढ़ाने की बात स्पष्ट रूप से लिखी गई। भारत की त्रासदी को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का निर्देश देने का काम सुनियोजित ढंग से इसके जरिए किया जा रहा है।

 टूलकिट, कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है या नहीं, इसका फैसला कानून करेगा। यह शीघ्र हो, इसकी जिसने भी यह टूलकिट लिखा है, वह इरादतन बहुत ही घिनौना उद्देश्य लेकर कार्य कर रहा है। कोरोना वायरस के ज्यादा संक्रामक स्ट्रेन को वह भारत से जोड़ने की साजिश रच रहा है। यही नहीं, मोदी स्ट्रेन जैसे नेरेशन को बढ़ाने की बात स्पष्ट रूप से लिखी गई। भारत की त्रासदी को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का निर्देश देने का काम सुनियोजित ढंग से इसके जरिए किया जा रहा है।

टूलकिट, कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है या नहीं, इसका फैसला कानून करेगा। यह शीघ्र हो, इसकी आवश्यकता भी है। लेकिन प्रथमदृष्टया यह स्पष्ट है कि जिसने भी इसे लिखा है वह कांग्रेस की कार्यकर्ता है और उनके रिसर्च विभाग के प्रमुख के साथ काम करती है, और जैसे ही यह विषय चर्चा में आया उन्होंने अपना ट्विटर एवं लिंक्डइन खाता निरस्त कर दिया। दूसरा अहम विषय है कि अगर हम कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया पोस्ट और वक्तव्यों को जमीनी स्तर पर देखें तो वे सभी इस टूलकिट में लिखे निर्देशों पर चलते स्पष्ट नजर आते हैं। राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल को ही देख लें। कांग्रेस समर्थकों के ट्वीट्स देख लें, वे इस टूलकिट के निर्देशों से मेल खाते हैं।

जब भी किसी देश में कोई बड़ी आपदा आती है तो त्रासदी को पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता। दूसरी लहर के घातक प्रभाव हम सभी झेल रहे है। तीसरी लहर, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों पर इसके असर, की चिंता भी भारत को सता रही है। ब्लैक फंगस बीमारी भी घातक रूप ले रही है। वैश्विक स्तर पर भी इस महामारी में भारत की तरह ही कई सरकारें कई समस्याओं से जूझ रही हैं, जबकि वहां स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर भारत से कहीं बेहतर था। जरूरी है कि हम इस लड़ाई को सामूहिक रूप से लड़ें। राजनीतिक लाभ- हानि, जन त्रासदी से बढ़कर नहीं है।

इस लड़ाई में हमारा सबसे बड़ा हथियार टीकाकरण का कार्यक्रम ही रहेगा। भारत का सौभाग्य है कि कोवैक्सीन यहां तैयार की गई। उसका उत्पादन जुलाई 2021 तक 35 करोड़ और दिसंबर अंत तक 216 करोड़ हो जाएगा। डीआरडीओ ने एक नई दवाई 2-डीजी के भी इस्तेमाल की अनुमति दे दी है जो बीमारी में हमारा महत्त्वपूर्ण औजार साबित होगी। बतौर डॉ. के.के. अग्रवाल 'द शो मस्ट गो ऑन' की भावना से हम इस विपत्ति से शीघ्र निजात पाएंगे।

मेरा विपक्ष से निवेदन है कि महाभारत में धृतराष्ट्र की बात को याद रखें - 'वयं पंचाधिकम् शतम्।' अर्थात् दुश्मन से लड़ने के लिए हम एक सौ पांच हैं, सौ और पांच नहीं।

गोपाल कृष्णा अग्रवाल

राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय जनता पार्टी

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