व्यवस्था पारदर्शी बनाने की पहल
ई-रुपी वाउचर की पहल लक्षित व्यक्ति तक रकम हस्तांतरित
करने की दिशा में सार्थक साबित हो सकती है। इस व्यवस्था के माध्यम सरकारी धन के रिसाव
को नियंत्रित किया जा सकेगा
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी ने हाल ही में ई-रुपी वाउचर लान्च किया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा, 'यह सरकारी
वितरण के लक्षित, पारदर्शी और रिसाव मुक्त वितरण में मदद करेगा। ई-रुपी इस बात का प्रतीक
है कि लोगों के जीवन को प्रौद्योगिकी से जोड़कर भारत कैसे प्रगति कर रहा है।'
वर्ष 2014 में जब नरेन्द्र
मोदी सत्ता में आए तो उनके समक्ष सरकारी वितरण तंत्र में बड़े पैमाने पर होने वाले
रिसाव को रोकने की चुनौती थी। सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं का समुचित लाभ उनके
योग्य लाभार्थियों तक सुगमता से नहीं पहुंच पा रही थी। लिहाजा सामाजिक कल्याण लाभ के
लिए वितरण तंत्र को सुव्यवस्थित करने की उन्होंने व्यवस्था की, ताकि भ्रष्टाचार और
अन्य रिसावों को रोका जा सके। उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की ऐतिहासिक
पहल करते हुए बैंकों में सभी देशवासियों के जन- धन खाते खोलना, उसे आधार कार्ड से जोड़ना
और आनलाइन फंड ट्रांसफर के लिए डिजिटल तकनीकों के उपयोग के द्वारा वित्तीय समावेशन
कार्यक्रम को लागू किया गया। आनलाइन भुगतान तकनीक के लिए अधिक से अधिक एकीकृत भुगतान
इंटरफेस (यूपीआइ) विकसित की गई और उनके माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में धनराशि
स्थानांतरित करने की व्यवस्था आरंभ की गई।
आम आदमी के जीवन में क्रांति
लाने के लिए वित्तीय तकनीकों का उपयोग करना प्रधानमंत्री की एक महत्वाकांक्षी परियोजना
है। फिनटेक के माध्यम से किए जाने वाले समाधानों के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
(एआइ) और डाटा मैनेजमेंट का उपयोग करके नवाचार के लिए स्टार्ट-अप्स को वह निरंतर प्रोत्साहित
कर रहे हैं। टैक्स रियायतों के माध्यम से स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र बनाना और फिर
उसके लिए निवेश योग्य धन उपलब्ध कराने के साथ,
सरकार का एक स्पष्ट रोडमैप है। अटल इनोवेशन मिशन के माध्यम से अकादमिक और उद्योगों
को जोड़ने के लिए भी योजनाएं बनाई गई हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा नवाचार
को प्रोत्साहन के लिए समूची पेटेंट व्यवस्था को सुदृढ़ करना सरकार की नई पहल है।
इस डिजिटल परिवर्तन ने अमीर
और गरीब, शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच तकनीकी दूरी को कम करने में मदद की है। पंचायत
स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी का एकीकृत तंत्र के तौर पर विकसित किया जा रहा है। डिजिटल
इंडिया प्लेटफार्म के तहत भी कंप्यूटर सेवा केंद्र (सीएससी) स्थापित करके लोगों के
जीवन को सुगम बनाया जा - रहा है। प्रौद्योगिकी समाधानों ने सरकारी - निर्णय और उसके
कार्यान्वयन में - मानवीय हस्तक्षेप को काफी हद तक कम -कर दिया, जिससे सभी को अपने
दैनिक जीवनयापन में सुविधा मिली है। सरकारी - योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए आनलाइन
समाधान मानवीय हस्तक्षेप को कम करता है और इसमें भ्रष्टाचार की आशंकाएं भी कम होती
है।
डिजिटल इंडिया पहल जैसे जीएसटी
का कार्यान्वयन, वर्चुअल ई-मूल्यांकन, सरकारी ई-मार्केट प्लेटफार्म, डिजिटल लाकर, ई-मंडियां,
59 मिनट में पीएसबी लोन, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम, टोल प्लाजा पर फास्ट टैग सुविधा और
अब ई-रुपी वाउचर ने आम लोगों के जीवन को बदल दिया है। सरकारी योजनाओं को लागू करने
के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में हम सफल रहे हैं, चाहे वह लक्षित व्यक्तियों
तक सामाजिक लाभ पहुंचाना हो या व्यवसाय करने में आसानी हो या फिर लाभ वितरण और शासन
के लिए भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र का निर्माण करना हो। जुलाई में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान
निगम (एनपीसीआइ) के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआइ) के जरिये रिकार्ड 324 करोड़
लेन-देन किए गए हैं। राशि की बात करें तो इस प्लेटफार्म से 6.06 लाख करोड़ रुपये के
लेन-देन किए गए
केंद्र सरकार करीब 300 सरकारी
योजनाओं के अंतर्गत लक्षित लाभार्थियों को 17.5 लाख करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित
करने में सफल रही है और इस राशि को गलत हाथों में जाने से रोककर लगभग 1.75 लाख करोड़
रुपये की बचत करने में भी सफल रही है। इस साल सरकार ने न्यूनतम मूल्य पर खाद्यान्न
खरीद कर किसानों के खाते में 86 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री
किसान सम्मान निधि के तहत भी बड़ी राशि सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर की है। ई-रुपी
वाउचर की नई पहल लक्षित व्यक्ति तक फंड ट्रांसफर करने के लिए एक अभिनव साधन बनकर उभरेगी।
जब सरकार ई-रुपी वाउचर जारी करती है. तो वह सुनिश्चित करती है कि फंड का उपयोग केवल
निश्चित उद्देश्य के लिए ही किया जा सकता है। यह व्यक्ति-विशिष्ट भुगतान प्रणाली प्री-पेड
उपहार वाउचर के रूप में कार्य करती है, जिसे निर्धारित सेवा केंद्रों पर भुनाया जा
सकता है। यह योजना सेवाओं के प्रायोजकों, लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं को एक डिजिटल
प्लेटफार्म पर साथ ले आएगी। एक बार जब यह वाउचर किसी निजी संगठन या व्यक्ति द्वारा
जारी किया जाएगा, तो उसे इस बात का भरोसा होगा कि इस निधि का उपयोग उनके निर्देशानुसार
ही होगा।
दरअसल सरकार 'पुश माडल' पर
काम कर रही है, जहां योजनाओं की घोषणा की जाती है, लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं और
सरकारी अधिकारियों को उनके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार बनाया जाता है, न कि 'पुल
माडल' पर जहां नागरिकों को लाभ लेने के लिए सरकारी विभागों के पीछे भागना पड़ता है।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल
(लेखक बीजेपी के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता है)
No comments:
Post a Comment