Sunday, 13 March 2022

पानी का मूल्ये बढ़ाने पर नहीं महत्व समझाने पर रहे ध्यान

गोपाल कृष्ण अग्रवाल,

भारत पानी की कमी वाला देश नहीं है। हमारे पास पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। फिर भी हमारे दैनिक जीवन में हम इस उपलब्धता को महसूस नहीं करते हैं और हमारे देश का बड़ा वर्ग शुद्ध पानी से वंचित है। कारण ऐतिहासिक रूप से जल संसाधनों का अकुशल वितरण और प्रबंधन है। पानी जीवन के लिए आवश्यक होने के कारण एक बहुत ही संवेदनशील विषय है और इसकी अनेक चुनौतियां और विभिन्न आयाम हैं। जरूरी है कि यह सभी तक समान रूप से उपलब्ध होइसका सही उपयोग होअच्छी गुणवत्ता हो। इसके साथ ही आंतरिक विस्थापनव्यावसाईकरणनिजीकरणशहरीकरण और अंतरराज्यीय संघर्ष भी इससे जुड़े हैं। सरकार के पास इन मुद्दों के समाधान की बड़ी चुनौती है।

 घरेलू पानी का उपयोग गरीब परिवार के जीवनयापन का भी एक अभिन्न अंग है। पानी और स्वास्थ्य सेवाओं को बुनियादी स्तर तक पहुंचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पूर्ववर्ती सर्वे के अनुसार प्रति व्यक्ति घरेलू पानी की खपत और भारतीय मानक (बीआइएस), 2001, दिल्ली मास्टर प्लानकेंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और पर्यावरण संगठन और जापान इंटरनेशनल द्वारा दिए गए अनुशंसित मानदंडों के बीच तुलनात्मक विश्लेषण में कम आय वाले क्षेत्रों में खपत की धूमिल तस्वीर दिखाई देती है।

इंडिया-अर्बन स्लम सर्वे (एनएसएस), 69 वें राउंड के अनुसारअखिल भारतीय स्तर पर हालांकि स्लम क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों में पीने के पानी का स्रोत बढ़ा हुआ दिखता हैलेकिन दूसरी ओर गैर-झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के पीने के पानी के बेहतर स्रोत का प्रतिशत उस के अनुपात से काफी अधिक दिखता है। इससे पता चलता है कि समाज के आर्थिक रूप से निचले और ऊपरी तबके के बीच पानी की उपलब्धता और उपयोग में असमानता बढ़ रही है।

वर्तमान सरकार की जल जीवन मिशन योजना लगभग देश में सभी उन्नीस करोड़ घरों को नल के द्धारा पानी उपलब्ध कराने (हर घर जल) की महत्त्वपूर्ण पहल है और संविधान के अंतर्गत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए एक महत्त्वाकांक्षी योजना है। इसका लक्ष्य हासिल करने से पहले हमें और भी बहुत कुछ करना होगा। पानी की गुणवत्तामूल्य और मात्रा सुनिश्चित करनी होगी।

नीतिगत स्तर पर इस लिहाज से कई विचारधाराएं और विचार हैं। विशेष रूप से मूल्य निर्धारण और संरक्षण को लेकर स्पष्टता नहीं है। हमें पानी के विषय पर गहन चर्चा और पारदर्शिता की आवश्यकता है। व्यक्तियों या घरों के व्यावहारिक उपभोग पर पानी के मूल्य के प्रभाव के संबंध में विविध विचार चल रहे हैं। पानी जैसी घरेलू आवश्यक वस्तुओं की कीमत के उपभोग पर प्रभाव को ले कर कई अध्ययनों से पता चलता है कि उपभोग पूरी तरह मूल्य पर आधारित नहीं है। इसके विपरीत कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि कीमत एक अच्छा जल-मांग प्रबंधन उपकरण हो सकता है। आर्थिक सिद्धांत के आधार पर कीमतों में वृद्धि के साथ अधिकांश वस्तुओं की मांग की मात्रा कम हो जाती हैलेकिन जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं पर यह सिद्धांत पूरी तरह नहीं लागू होता।

हम यह जानते हैं कि कीमत के बारे में जागरूकता और पानी की कीमत में बदलाव के आधार पर उपभोग में बदलाव मूल्य संवेदनशीलता को मापने के लिए एक संकेतक माना जाता है। इस संकेतक पर हमारे वर्तमान अध्ययन में पाया गया है कि कम आय वाले लगभग 90 प्रतिशत घरों की खपत पानी के मूल्य बढऩे से कम नहीं होगीक्योंकि मूल रूप से उन घरों में पानी के उपभोग का स्तर पहले से ही आवश्यकता के अनुपात में बहुत कम पाया गया है। पानी पर खर्च की गई व्यक्तिगत आय का कुल आय के अनुपात को एक और पैरामीटर माना जाता है।

 हमारे अध्ययन के अनुसार औसतन पानी पर खर्च व्यक्तिगत आयकुल आय का 4.93 प्रतिशत ही है। जैसे-जैसे हम निम्न आय वर्ग से उच्च आय वाले उपनिवेशों में जाते हैंउनका पानी पर खर्च की जाने वाली आय का अनुपात और भी कम हो जाता है। इसलिए निम्न आय वर्ग की कीमतों की संवेदनशीलता उच्च आय समूहों की तुलना में कहीं अधिक है। इससे यह स्पष्ट होता है की कीमतों का पानी की खपत पर प्रभाव हाशिए पर रहने वाले वर्ग पर ही अधिक होगा।

निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि पानी की मांग अत्यधिक मूल्य-संवेदी नहीं है। मुख्य कारण यह है कि लोग पानी का उपयोग एक आवश्यकता के रूप में ही करते हैं कि एक विलासिता के रूप में। इसका तात्पर्य यह भी है कि कीमत बढ़ाने से घरेलू पानी की खपत में उल्लेखनीय कमी नहीं सकती है। यह भी मत भूलिए जब तक किसी चीज की कमी बनी रहेगी लोग आवश्यकता की वजह से उसके भुगतान के लिए तो तैयार हो ही जाएंगेलेकिन पानी जैसी जरूरी चीज के बारे में निर्णय लेते समय लोगों के सामथ्र्य को ही प्राथमिकता देनी होगी। पानी का मूल्य निर्धारण एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णय है। इससे उच्च आय वर्ग की तुलना में गरीब वर्ग ही अधिक प्रभावित होगा।

घर में पानी की बर्बादी को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है घर में पानी बचाने के उपायों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए। कम प्रवाह वाले शावर और नलदोहरी फ्लशिंग प्रणालीकपड़े और बर्तन धोने के लिए पानी की बचत करने वाले उपकरण मदद कर सकते हैं। सरकार सभी को पानी उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। साथ ही लागत वसूली के लिए मूल्य निर्धारण और इसके अत्यधिक उपयोग को रोकने में संतुलन बना रही है।

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