सरकार की गलत नीतियों के कारण महंगाई बढ़ रही है
दिन-प्रतिदिन
जिस प्रकार
महगाई बढ़
रही है.
उसके क्या
कारण है?
महगाई पर
कैसे नियंत्रण
पाया जा
सकता है?
देश की
बिगड़ रही
अर्थव्यवस्था के
लिए कौन
से कारण
जिम्मेदार हैं?
क्या सरकार
की गलत
नीतियो के
कारण ऐसा
हो रहा
है? इसी
प्रकार के
कुछ प्रश्नों
के संदर्भ
में जगदम्बा
सिंह नै
प्रमुख अर्धशास्त्री
एवं भारतीय
जनता पार्टी
इकोनामिक सेल
के राष्ट्रीय
संयोजक गोपाल
कृष्ण अग्रवाल
से बातचीत
की। पेश
है, वार्ता
के खास
अंश-
इस संदर्भ
में श्री
गोपाल कृष्ण
अग्रवाल का
कहना है
कि भ्रष्टाचार
और ब्लैक
मनी के
कारण कुछ
लोगो के
पास पैसा
बहुत ज्यादा
आ गया
है। इससे
खरीददारी की
क्षमता बढ़ी
है। मगर
जिस हिसाब
से खरीददारी
की क्षमता
बढ़ी है
उसके मुताबिक
उत्पादन नहीं
बढ़ा है।
कुल मिलाकर
स्थिति ऐसी
बनी हुई
है कि
डिमांड एवं
सप्लाई में
काफी अंतर
है। यदि
डिमाड अधिक
होगी और
सप्लाई कम
होगी तो
महगाई बढ़ेगी
ही। ऋण
पर ब्याज
दर इतनी
अधिक हो
गई है
कि नए
उद्योग जरूरत
के मुताबिक
नहीं लग
रहे है।
जब तक
नए उद्योग
नहीं लगेगे,
तब तक
उत्पादन बढेगा
नहीं। सरकार
डिमांड एव
सप्लाई में
संतुलन बनाने
में नाकाम
रहीं है।
यह काम
सरकार को
पहले से
ही करना
चाहिए था।
इसके अलावा
महगाई के
लिए आर्थिक
कुप्रबंधन एवं
गलत नीतिया
भी जिम्मेदार
है। महंगाई
बढ़ रही
है, मगर
अनाज सड
रहा है।
अर्थशास्त्र की
यह कौन
सी परिभाषा
है कि
लोग भूखों
मरे और
अनाज गोदामों
में सड़े।
होना तो
यह चाहिए
कि यदि
मार्केट में
डिमांड अधिक
हो तो
सप्लाई और
बढ़ा देनी
चाहिए। कितु
यह उलटा
हो रहा
है। सप्लाई
कम होने
के बावजूद
गेह सहाया
जा रहा
है। महंगाई
बढ़ने के
ये कुछ
प्रमुख कारण
है जिनका
निदान कर
सरकार महगाई
पर अकुश
लगा सकती
है।
सरकार का
कहना है
कि अत्तर्राष्ट्रीय
स्तर पर
अर्थव्यवस्था की
हालत नाजुक
है. उसका
असर भारत
पर भी
पड़ना स्वाभाविक
है? इस
बजह से
भी महगाई
बढ़ रही
है। इस
प्रश्न के
जबाब में
श्री गोपाल
कृष्ण अग्रवाल
का कहना
है कि
ऐसी बात
नहीं है।
अतर्राष्ट्रीय स्तर
पर तो
डालर मजबूत
हो रह
है, मगर
रुपया क्यों
कमजोर हो
रहा है?
इस हिसाब
से तो
रुपया भी
मजबूत होना
चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर
अर्थव्यवस्था यदि
कमजोर है,
तो महगाई
कम होनी
चाहिए क्योंकि
ऐसी स्थिति
में विदेशी
बाजार में
भारतीय सामानो
की सप्लाई
कम हो
जाती है।
जब सामानों
की सप्लाई
कम होगी
तो महगाई
घटनी चाहिए
या बढ़नी
चाहिए। अतर्राष्ट्रीय
बाजार में
पेट्रोलियम पदार्थों
की कीमते
कम हो
रही है.
यहा क्यो
बढ़ रही
है। यह
सब सरकार
के - बहाने
बाजी है।
जब वहां
पेट्रोलियम पदार्थों
की कीमते
कम हो
रही हैं
तो यहां
भी - होनी
चाहिए। जब
वहां डालर
मजबूत हो
रहा है
तो भारत
में भी
रुपया मजबूत
होना चाएि।
सरकार चाहे
जितनी भी
बहाने बाजी
कर ले,
मगर सारी
समस्या मिस
मैनेजमेट के
कारण उत्पन्न
हुई है।
भ्रष्टाचार के
कारण र
मार्केट में
इतनी ब्लैक
मनी आ
गई है
कि उसका
दुष्प्रभाव हर
क्षेत्र में
देखने बा
को मिल
रहा है।
रियल स्टेट
से लेकर
किसी भी
क्षेत्र देखिये
ब्लैक मनी
के करण
दाम लगातार
बढ़ते जा
रहे है.
किंतु उसके
मुताबिक सप्लई
पक्ष कमजोर
पड रहा
है।
भ्रष्टाचार
के कारण
ब्लैक मनी
तो सबके
पास आई
नहीं। इसका
लाभ तो
तो कुछ
ही लोगों
को मिला
है। इस
संदर्भ में
श्री गोपाल
कृष्ण अग्रवाल
का ग
कहना है
कि सिस्टम
तो सबके
लिए एक
ही है
ऐसी कोई
व्यवस्था तो
है नहीं
कि नोट
छापकर गरीबों
में बाट
दी जाए.
जिससे गरीब
लोग भी
उनका र
मुकाबला कर
सके जिनके
पास प्रर्याप्त
ब्लैक मनी
है। चूंकि
सिस्टम सभी
र के
लिए एक
है। इसलिए
उसका खामियाजा
गरीबों को
भी भुगतना
पड रहा
कहै।
आज यदि
पूरी अर्थव्यवस्था
पर नजर
डाली जाये
तो अर्थव्यवस्था
को आप
कहां पाते
है? इस
प्रश्न के
जवाब में
श्री गोपाल
कृष्ण अग्रवाल
न का
कहना है
कि अभी
हाल में
कुछ प्रमुख
उद्योगपतियों ने
कुछ बातें
कहो है
उसी से
भारतीय अर्थव्यवस्था
के बारे
में अंदाजा
लगाया जा
सकता है।
उद्योगपति अजीम
प्रेम जी
ने कहा
है कि
भारत बिना
किसी लीडर
के चल
रहा है।
नारायण मूर्ति
ने भी
अर्थव्यवस्था के
के संदर्भ
में निगेटिव
बात कहीं
है। कल
मिलाकर कहने
का आशय
यही है
कि देश
के तमाम
- उद्योगपतियो ने
अर्थव्यवस्था की
भयावह स्थिति
को लेकर
चिंता जाहिर
- की है।
प्रधानमंत्री ने
स्वयं कहा
है कि
हमारी अर्थव्यवस्था
बुरे दौर
से गुजर
रही है।
आखिर प्रधानमंत्री
जी किस
बता रहे
है?
सरकार उन्हें
चलानी है.
सब कुछ
उन्हें हो
करना है
तो वे
किसको बता
रहे है।
दरअसल देश
की अर्थव्यवस्था
को फिर
से पटरी
पर लाने
के लिए
मजबूत एवं
दृढ राजनीतिक
इच्छाशक्ति की
जरूरत है.
किंतु वह
राजनीतिक इच्छाशक्ति
इस सरकार
में नहीं
है। हमारी
अर्थव्यवस्था वास्तव
में उतनी
खराब नहीं
है जितनी
राजेतिक नेतृत्व
को अक्षमता
के कारण
कृतिम रूप
से खराब
हुई है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा।
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