HRDI के अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन में श्री
गोपाल कृष्ण अग्रवाल का संबोधन 11 जनवरी 2015 ।
1947 में, लाहोर शहर में लकरीबन 43% सिखों और हिंदुओं थे। पाकिस्तान के अन्य प्रमुख
शहरों में भी हिंदू और सिखों के बड़े आकार का अनुपात था। विभाजन के दौरान पंजाब का
60% भाग पाकिस्तान के पास गया और मात्र 40 % भारत के पास रह गया।
अब पाकिस्तान में सिखों की आबादी सिर्फ
20,000 के आसपास होने का अनुमान है। लेकिन
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की सही संख्या की जानकारी विश्वसनीय जनगणना के
आंकड़ों की कमी के कारण उपलब्ध नहीं है। हालांकि, 1947
में सिख और हिंदु लगभग
25% -30% के आसपास होने का अनुमान था, जो की
अब मात्र 2% -3% है कुल जनसंख्या की। आखिर हिंदुओं और सिखों की इतनी बड़ी संख्या
गई कहां। क्या हुआ इनका।
पाकिस्तान
में हिन्दू और सिख समुदाय के लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। वे हमेशा डर और आतंक
के साये में जीते हैं। अन्य समुदायों के अल्पसंख्यकों की भी यही दशा है। इसका
खुलासा खुद पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने किया है। कुछ वर्ष पहले अपनी
रिपोर्ट में आयोग ने खासतौर पर वर्ष 2010 को
अल्पसंख्यकों के लिए बेहद खराब बताया।
क्या हो रहा है हिन्दु और सिखों के साथ
पाकिस्तान में ?
पिछले साल पाकिस्तान के कराची शहर के प्रेस क्लब
में पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय ने एक सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार
में चर्चा का विषय था-”पाकिस्तान
में हिन्दू मुद्दे और समाधान.” इस गोष्ठी में शामिल वक्ताओं
ने पाकिस्तान में हिंदुओं की बहन बेटियों का हो रहा जबरन धर्म परिवर्तन मिडिया के
माध्यम से सारी दुनिया के सामने उजागर किया। इस गोष्ठी में आये एक पाकिस्तानी
हिन्दू राजकुमार ने अपना गुस्सा और दुःख बयान करते हुए बताया कि वर्ष 2012 में
उसकी भतीजी रिंकल कुमारी का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उसका विवाह एक मुसलमान से
करा दिया गया.पुलिस और कोर्ट दोनों ने उनका साथ नहीं दिया और इस जबरन धर्म
परिवर्तन कर किये गये नाजायज विवाह को जायज करार देकर हिंदुओं के मुंह पर नाइंसाफी
का तमांचा मार दिया। यह सिर्फ एक रिंकल की कहानी नहीं ऐसी कई रिंकल है जिनका या तो
धर्म परिवर्न किया जा रहा है या उनका अपहरण किया जा रहा है या उनके साथ बलात्कार
किया जा रहा है।
पाकिस्तान में हो रहे हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म
परिवर्तन पर नवभारत टाइम्स में छपा एक समाचार पर एक रिपोर्ट
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने
कहा है कि देश में नाबालिग हिन्दू लड़कियों का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जा
रहा है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय बहुत चिंतित है।मानवाधिकार आयोग की वर्ष 2010 की रिपोर्ट
में कहा गया है कि बहुत से मामलों में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनके साथ बलात्कार
किया जाता है और बाद में उन्हें धर्म परिवर्तन पर मजबूर किया जाता है.सिंध प्रान्त
विशेष कर देश की व्यापारिक राजधानी कराची में जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं
हो रही हैं। पाकिस्तान की सीनेट की अल्पसंख्यक मामलों की स्थाई समिति ने अक्टूबर 2010
में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस उपाए करने का आग्रह किया था।आयोग
ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं केवल सिंध तक सीमित
नहीं है बल्कि देश के अन्य भागों में भी ऐसा हो रहा है.अल्पसंख्यक समुदाय की
लड़कियों का अपहरण होता है,उनके साथ बलात्कार किया जाता है
और बाद में यह दलील दी जाती है कि लड़की ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है.उसकी
मुस्लिम व्यक्ति से शादी हो गई है और वह अपने पुराने धर्म में लौटना नहीं चाहती. बहुत से लोगों का मानना है कि यह काम एक साजिश के
तहत किया जा रहा है ताकि बचे-खुचे हिंदुओं को पाकिस्तान से बाहर खदेड़ा जा सके.
सिंध प्रांत में नवाब शाह नामक जगह के 46 वर्षीय सनाओ मेघवार कहते हैं, ”हम चिंतित हैं. हमने अपने बच्चों को भारत या किसी अन्य देश में भेजना शुरू कर दिया है. हम भी जल्द ही यहां से जाने की तैयारी कर रहे हैं.” उनके लिए चिंतित होने का कारण भी है. स्थानीय एजेंसियों की ओर से किए गए शोध के मुताबिक पाकिस्तान में हर महीने औसतन 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है.
हिंदुओं को सिर्फ अलग मतदाता के
तौर पर मतदान की इजाजत है और उन्हें अपनी शादियां पंजीकृत कराने का अधिकार नहीं
है.पाकिस्तान में यदि किसी हिन्दू का किसी मुसलमान से झगड़ा या विवाद होता है तो
वहाँ की पुलिस और कोर्ट मुस्लिमों का ही साथ देती है और हिंदुओं को तरह तरह से
प्रताड़ित करती हैं.कई आतंकी संगठनो द्वारा हिंदुओं को डरा धमकाकर उनसे अवैध रूप से
धन वसूली की जाती है.हिन्दू किसी होटल में जाने से बचते हैं क्योंकि उनके साथ
होटलों में अक्सर बदसलूकी की जाती है.पाकिस्तान में शिक्षा प्राप्ति से लेकर नौकरी
पाने तक में हर जगह हिंदुओं के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें घृणा की नज़र से
देखा जाता है. उनकी तकलीफों का यहीं अंत नहीं है. 19 जुलाई,
2010 को रावलपिंडी के श्मशान घाट को, जहां
हिंदू और सिख अपने सगे-संबंधियों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करते थे,
खत्म कर दिया गया.वहाँ के स्थानीय निवासी जगमोहन कुमार अरोड़ा सवाल
करते हैं,”अगर मस्जिदों को तोड़ कर वहां घर बना दिए जाएं तो
मुसलमानों को कैसा लगेगा?” वहां के हिंदुओं को अंतिम संस्कार
करने के लिए मृतक देह को लेकर 86 किलोमीटर का सफर तय करके जिला ननकाना साहिब जाना
पड़ता है.”
पाकिस्तान में हिन्दू सांसदों और विधायकों कि क्या
स्थिति है,ये भी जान लीजिये-” पाकिस्तान में पिछले साल सिंध प्रांत की विधानसभा से 67 वर्षीय विधायक रामसिंह सोढा के इस्तीफे और कच्छ से उनके परिवार के पलायन
ने पाकिस्तान और भारत दोनों देशों में हलचल मचा दी थी. उनके इस फैसले को पाकिस्तान
में कट्टर मुसलमानों के हाथों हिंदुओं पर बढ़ते जुल्म के संकेत के तौर पर देखा गया।
पाकिस्तान के मंदिरों
की बात करें तो वहां पर लगभग 428 मंदिर है,जिसमे से सिर्फ 26 में
ही पूजा-पाठ होता है.पाकिस्तान के पांच प्रसिद्द हिन्दू मंदिर निम्लिखित हैं-
1.कटासराज मंदिर, चकवाल, पाकिस्तानी पंजाब में स्थित है.
2.हिंगलाज माता मंदिर, बलोचिस्तान में है.
3.गोरी मंदिर, थारपारकर, सिंध मैं है.
4.मरी सिन्धु मंदिर परिसर, पंजाब में है.
5.शारदा मंदिर, पाक अधिकृत कश्मीर में है.
पाकिस्तान के हिन्दू मंदिरो पर वहाँ के मुस्लिम कट्टरपंथी बराबर हमले करते रहते हैं.वहाँ के अधिकतर मंदिरों में मुस्लिम कट्टरपंथियों के भय से न तो पूजापाठ होती है और न ही उनका सही ढंग से रख रखाव हो पा रहा है,जिसके कारण अधिकतर मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए हैं.ये मंदिर कभी भी इबादत के बुतखाने और इस्लाम के खिलाफ बताकर नेस्तनाबूत किये जा सकते हैं.
1.कटासराज मंदिर, चकवाल, पाकिस्तानी पंजाब में स्थित है.
2.हिंगलाज माता मंदिर, बलोचिस्तान में है.
3.गोरी मंदिर, थारपारकर, सिंध मैं है.
4.मरी सिन्धु मंदिर परिसर, पंजाब में है.
5.शारदा मंदिर, पाक अधिकृत कश्मीर में है.
पाकिस्तान के हिन्दू मंदिरो पर वहाँ के मुस्लिम कट्टरपंथी बराबर हमले करते रहते हैं.वहाँ के अधिकतर मंदिरों में मुस्लिम कट्टरपंथियों के भय से न तो पूजापाठ होती है और न ही उनका सही ढंग से रख रखाव हो पा रहा है,जिसके कारण अधिकतर मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए हैं.ये मंदिर कभी भी इबादत के बुतखाने और इस्लाम के खिलाफ बताकर नेस्तनाबूत किये जा सकते हैं.
कुछ वर्ष पहले “पाकिस्तान के नॉर्थ-वेस्ट रीजन पेशावर में 160 साल पुराने मंदिर में कुछ लोगों ने हमला बोल दिया। हमलावर मूर्तियों को ले उड़े और मंदिर में तोड़-फोड़ मचा दी। धार्मिक किताबों को जला दिया और तस्वीरों को फाड़ दिया। इस ऐतिहासिक मंदिर को अदालत के आदेश पर पिछले साल ही खोला गया था.हिन्दू समुदाय के नेताओं ने बताया कि हमलावरों ने गोरखमठ मंदिर के भीतर की तस्वीरें जला दीं और उसमें रखीं मूर्तियां उठा ले गए.यह मंदिर गोर गाथरी इलाके के पुरातत्व परिसर में स्थित है.मंदिर के संरक्षकों ने बताया कि पिछले दो महीने में यह तीसरा हमला है.”
आज के समय में धर्म का स्वरुप असहिष्णु,हिंसक और विकृत होता चला जा रहा है.ये बहुत चिंता की बात है.पहले धर्म की यात्रा दिल से शुरू होती थी और लोककल्याण करते हुए भगवान के पास तक जाती थी.अब तो धर्म की यात्रा दिमाग से शुरू होती है और हिंसा व धार्मिक उन्माद पर जाकर समाप्त हो जाती है.अब धर्म से सहिष्णुता गायब हो चुकी है,उसकी जगह ” एकोहम द्वितीयो नास्ति ” जैसी घातक और संकीर्ण प्रवृति जन्म ले चुकी है.मुस्लिम कट्टरपंथी एक ही स्वप्न देखते हैं कि सारी दुनिया में सिर्फ उन्ही के धर्म का राज हो.अपने इस झूठे स्वप्न को पूरा करने के लिए वो हर तरह की हिंसा तथा बाल यौन-शोषण से लेकर हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन तक का गलत रास्ता अख्तियार किये हुए हैं,जो इस्लाम के नियमों के भी सरासर खिलाफ हैं.ये सब गलत काम करके वो इस्लाम धर्म का प्रचार नहीं कर रहे हैं,बल्कि इस्लाम धर्म को नुकसान ही पहुंचा रहे हैं.अगर वास्तव में उन्हें इस्लाम धर्म और खुदा से मोहब्बत हैं तो उन्हें ऐसा गलत काम करने से बचना चाहिए। भारत सरकार और मानवाधिकार संस्थाओं को इस विषय परिस्थिति का तुरन्त से ज्ञान लेना चाहिए। HRDI के तहत इस विषय पर काफी काम हो रहें है और हिन्दुओं के मानवधिकार के लिए उनके साथ कन्धें से कन्धा मिलाकर खड़े है।
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