नोटबंदी से इकॉनमी को नई दिशा
गोपाल कृष्ण अग्रवाल,
नोटबंदी
ने देश के आर्थिक परिदृश्य में भारी हलचल पैदा कर दी है। आज इस पर बहस चल रही है
कि क्या इससे भ्रष्टाचार और काले धन को समाप्त करने में मदद मिल सकेगी?
इसका अर्थव्यवस्था पर तात्कालिक और दीर्घकालिक क्या असर पड़ेगा,
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। छोटे, लघु एवं मध्यम उद्योग इससे किस तरह प्रभावित होंगे? छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और दैनिक
मजदूरों आदि पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? और भी कई प्रश्न
उठ रहे हैं।
सरकार
देश के आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता के साथ सामने आई थी। भ्रष्टाचार एवं
काले धन पर रोक के लिए इस सरकार को जनादेश मिला था। इसलिए वर्तमान अर्थतंत्र के
महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखकर सरकार अपनी रणनीति तैयार कर रही है।
आम आदमी के लिए
यह
एक गलतफहमी है कि देश का हर नागरिक कर नहीं देता। प्रत्येक नागरिक अप्रत्यक्ष करों
के रूप में टैक्स अदा कर रहा है, पर यदि इस
ट्रांजैक्शन को समुचित रूप से खाते में न डाला जाए तो यह कर सरकार के खजाने में
नहीं पहुंचता। इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लेन-देन संबंधी ट्रांजैक्शन की
बैंकिंग प्रणाली में रिकॉर्डिंग बहुत आवश्यक है। नोटबंदी का उद्देश्य इसी परिदृश्य
को ठीक करना है। सरकार का मकसद है अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाकर सभी को विकास
के समान अवसर प्रदान करना।
सत्ता
में आने के दूसरे दिन ही सरकार ने सबसे पहले एसआईटी का गठन किया ताकि भ्रष्टाचार
मिटाने के लिए नए उपाय किए जा सकें। फिर विदेशी अवैध परिसंपदा घोषणा योजना को लागू
किया गया ताकि विदेशों में जमा अवैध संपत्ति को रोका जा सके। साथ में मॉरीशस,
साइप्रस और सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय कर संधियों के
पुनर्निर्धारण द्वारा अधिकांश हवाला कारोबार रोकने के लिए कदम उठाया। अमेरिका के
साथ वित्तीय सूचना साझा करने के लिए नई संधि की गई। उसी प्रकार ओईसीडी और जी-20 देशों के साथ वित्तीय सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए मोदी जी ने नई
पहल की। देश के अंदर के कालेधन को मुख्यधारा में लाने के लिए इनकम डिस्क्लोजर
स्कीम (आईडीएस) लाई गई। भ्रष्टाचार रोकने के लिए बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसना
जरूरी था। इसलिए बेनामी परिसंपत्ति कानूनों के प्रावधानों को पारित किया गया जो कि
पिछले दस वर्षों से लंबित पड़े थे।
काले
धन की लड़ाई में नोटबंदी एक बड़ी योजना का हिस्सा है। यह देश के सभी हिस्सों में आम
आदमी के आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण जरिया है।सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए
आने वाले समय में हमारी अर्थव्यवस्था में कई सुधार लाएगी। देश में भारी मात्रा में
कैश करंसी के सर्कुलेशन के कारण आवास महंगे हो गए थे। आम आदमी का घर का सपना उसके
हाथों से फिसलता जा रहा था। नोटबंदी से सभी प्रकार की महंगाई कम होगी। सरकार को
अधिक संसाधन प्राप्त होंगे जिसका इस्तेमाल वह गरीबों और अल्प आय ग्रुपों को राहत देने
के लिए तथा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए
करेगी। नोटबंदी की बदौलत हम कम ब्याज दर वाली अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं।
और
जीएसटी को कैसे भूल सकते हैं? जीएसटी से
अप्रत्यक्ष करों को कम करने में मदद मिलेगी। इसके सुचारू कार्यान्वयन के लिए भी
ढांचा तैयार हो गया है। नकली करंसी का चलन अर्थव्यवस्था से हटाया गया है जिससे
आतंकवादी, माओवादी और लूट-खसोट जैसी आपराधिक गतिविधियों
पर लगाम लगायी जा सके।
नोटबंदी
से बैंकों के चालू खाते और बचत खातों में जमाधन की वृद्धि हुई है। इससे बैंकों के
पास जमा धन की कीमत कम हो गई है परिणामस्वरूप बैकों ने ब्याज दर में कमी की है।
ऑनलाइन भुगतान तथा मोबाइल बैंकिंग द्वारा जो ट्रांजैक्शन होता है उसकी लागत प्रति
ट्रांजैक्शन काफी कम बैठती हैं। इसका फायदा अर्थव्यवस्था को तुरंत ही मिलेगा।
ऑनलाइन भुगतान के लिए कई तरह की छूट दी जा रही हैं। लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर
कर देने के कारण ही तीसरी तिमाही की कर रिपोर्ट में अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और प्रत्यक्ष कर संग्रह में 15 प्रतिशत की। अभी काले धन के संचालन के कारण अर्थव्यवस्था में कई
विसंगतियां आ गई हैं जिन्हें दूर करने का प्रयास तभी पूर्ण सफल होगा जब लोग पुराने
कालेधन को नई करंसी में कन्वर्ट न कर सकें। इसीलिए सरकार कुछ कठोर नियमावलियां ला
रही है।
अगला
रोडमैप तैयार
सरकार
करंसी की आवाजाही की कमी से पूर्ण रूप से अवगत है, पर इसे जल्द सुलझाया जा रहा है। लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि
ऑनलाइन भुगतान और मोबाइल बैंकिंग को अपनाएं। इसके लिए जागरूकता पैदा की जाएगी।
इन्हें अनिवार्य नहीं किया जाएगा। सरकार सिस्टम में कैश करंसी खत्म नहीं कर देगी,
पर उसे जीडीपी के 8 से 9 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य है। सरकार इस बात से भली-भांति अवगत है कि
करंसी की इस कमी का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इसीलिए उसके पास
जीडीपी के विकास और अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का अगला रोडमैप तैयार है। देश में
बड़े आर्थिक सुधारों के लिए आवश्यक है कि हम डिजिटल अर्थव्यवस्था की नई क्रांति की
तरफ बढ़ें।
लेखक बीजेपी के आर्थिक मामलो के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।
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