मोदी सरकार को अभूतपूर्व बहुमत के साथ
सत्ता में वापस का मौका मिला है। मोदीजी न केवल भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक
गठबंधन (NDA) के निर्विवाद नेता हैं, बल्कि पूरे देश
के एक लोकप्रिय नेता हैं। यह भी उम्मीद है कि 2020 तक एनडीए के
पास राज्यसभा में भी बहुमत होगा और परिस्थितियां पिछली सरकार की तुलना में और
अनुकूल होगी। जिसके कारण आने वाले समय में श्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व
में कई सुधारों को लागू करने के लिए एक माकूल वातावरण का निर्माण होगा।
आर्थिक प्रबंधन के मामले में मोदी
सरकार का पहला कार्यकाल बेहद सफल रहा। जीडीपी में वृद्धि, मुद्रास्फीति पर
नियंत्रण, राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण और भुगतान संकट को लेकर जरूरी पहल ऐसे ही
कुछ सफल प्रयास हैं। मोदी सरकार का पहला कार्यकाल सिस्टम को साफ करने और
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में काम किया गया। व्यापक आर्थिक मापदंडों को अगर
देखें तो वे सभी बहुत अच्छी स्थिति में हैं। मुद्रास्फीति लगभग 4.5%
है। जीडीपी विकास दर उच्च पथ पर, लगभग 7.5% है। राजकोषीय
घाटा 3.5% है। चालू वित्तीय खाता घाटा भी स्वस्थ है। जीडीपी के अनुपात में
टैक्स संग्रह में भी सुधार हुआ है, जो अब 12% है।
मोदीजी ने ‘सबका साथ,
सबका
विकास’ मंत्र के साथ प्रधानमंत्री के रूप में पांच साल तक कड़ी मेहनत से
अपने दायित्व को निभाया है। यदि हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हमारी सरकार
ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा,
किफायती
घर, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खर्च में वृद्धि हुई है। सरकार ने 115
जिलों को आकांक्षात्मक जिला घोषित किया है और 65000 गांवों को
पिछड़े क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया है और पुश मॉडल पर काम कर रही है। इन
जगहों पर जिला कलेक्टरों को उज्ज्वला, उजाला, मुद्रा, आयुष्मान
भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि सात प्रमुख सरकारी योजनाओं के हर
लाभार्थी तक वितरण के लिए जिम्मेदार बनाया गया है ताकि संबंधित क्षेत्रों में
प्रत्येक लाभार्थियों पात्र को इन योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सके।
जनसंघ के शुरुआती दिनों से ‘अंत्योदय’
हमारी
विचारधारा रही है, जिसके तहत समाज के अंतिम व्यक्ति को लाभ देना
हमारा लक्ष्य है। हमारे वित्तीय समावेशन कार्यक्रम को विश्व बैंक ने भी बहुत सराहा
है। पहले कार्यकाल के अंत में मोदी सरकार 22 करोड़ लोगों तक
अपनी योजनाओं के साथ पहुंची है, जिसमें समाज के सभी वर्ग शामिल हैं। इस
कार्यक्रमों के माध्यम से पार्टी ने जाति और धर्म से ऊपर एक नया समर्थक वर्ग तैयार
किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के इन करोड़ों लाभार्थियों से
सीधे जुड़ने के आह्वान के वांछित परिणाम चुनावों में मिले हैं।
भारत का महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग आगे
बढ़ रहा है, यह नयी अवसरों की तलाश और अच्छे जीवनयापन के
रास्ते तलाश रहा है। यह मध्यम-आय वर्ग मांग बढ़ाने वाला और व्यवसाय स्थापित करने
में सक्षम है। हम गर्व से याद करते हैं कि पिछले 2000 वर्षों के
इतिहास में भारत और चीन ने लगभग 60% वैश्विक व्यापार पर प्रभाव किया था।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) तालिका
में 77वें पायदान पर होना हमारे उन प्रयासों को रेखांकित करता है जिसके तहत
विनिर्माण क्षेत्र और एमएसएमई क्षेत्र की परेशानियों को चयनित और हल करने का काम
हमने किया है। ऐसे ही ई-आकलन व्यवस्था, प्रत्यक्ष कर ढांचे में व्यापक
भ्रष्टाचार को दूर करने में प्रभावी साबित हो रहा है। यह प्रक्रिया को सुचारू
करेगा और व्यक्तिपरकता को हटा देगा। इन सभी प्रयासों के माध्यम से करदाताओं के लिए
प्रभावी कर को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
जीएसटी का कार्यान्वयन एक बड़ा सुधार
है। यह कर संरचनाओं जैसे केंद्रीय, राज्य और स्थानीय करों को समावेश करता
है, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता के लिए अप्रत्यक्ष करों के दरों में कमी
होती है, यह पंजीकरण, रिटर्न भरने, रिफंड आदि में
आॅनलाइन उपायों के माध्यम से व्यापार करने में आसानी लाता है। यह प्रणाली उपभोक्ता
के लिए विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों को कम करेगा, सरकार को अधिक
कर संग्रह करने में सुविधा होगी, राजकोषीय व्यवस्था जीएसटीएन नेटवर्क के
माध्यम से अधिक सुचारू रूप से प्रशासित होगा।
40 लाख रुपये तक के कुल वार्षिक आय वाले
छोटे व्यवसायों को जीएसटी से छूट प्राप्त है। ऐसे ही 1.5 करोड़ रुपये तक
सालाना टर्नओवर वाले लोग कंपोजिट स्कीम का लाभ उठाकर मात्र 1 प्रतिशत टैक्स
देकर जीएसटी की औपचारिकताओं से छुटकारा पा सकते हैं।
पिछले 5 वर्षों में
हमारी सरकार ने समस्याओं को हल करने के लिए संस्थागत तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया
है। आईबीसी, एनसीएलटी और अन्य कानूनी सुधार लागू किए गए।
दिवालियापन और एनपीए का सामना करने वाली कई बड़ी कंपनियों में फंसे बैंकों के
पैसों की समस्या को अब हल किया जा रहा है। मोदीजी ‘प्रगति’ कार्यक्रम
के तहत अटकी हुई नई परियोजनाओं के पुनरुद्धार पर भी काम कर रहे हैं।
भूमि और श्रम देश के औद्योगिकीकरण के
लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए केंद्र सरकार भूमि मालिकाना रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण पर और
भूमि पट्टे समझौते के लागू करने पर भी जोर दे रही है। यह भूमि के स्वामित्व को
स्थापित करने में मदद कर रहा है। श्रमिकों के मोर्चे पर हम इस क्षेत्र के श्रमिकों
को औपचारिक परिधि में लाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी श्रम शक्ति का 93%
अनौपचारिक क्षेत्र में है।
इस क्षेत्र में काम करने वालों की
स्थिति बहुत खराब है। यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) और औद्योगिक अधिनियमों में
सरलीकरण के माध्यम से सरकार ने भविष्य निधि (पीएफ), ईएसआई, नौकरी
की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा आदि को लागू करने का काम किया
है।
किसान की आय को दोगुना करने के
उद्देश्य से हमारी कृषि नीतियां तैयार की जा रही हैं। एमएसपी को उत्पादन की लागत
से 150 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम
से किसानों को बीमा कवर मिल रहा है। हमारी आयात—निर्यात नीति यह
सुनिश्चित करती है कि किसानों को उसकी उपज का बेहतर मूल्य मिले। सरकार ने कई अन्य
पहल भी की हैं।
हमारे पास वर्ष 2024 तक
5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लिए स्पष्ट नजरिया है। हम भारत को एक
आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। श्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक
नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी आवश्यक कदम शीघ्रता से लिए जाए।
सरकार करदाता के पैसे के महत्व को
समझती है, इसलिए चुनावों में कोई लोकलुभावन घोषणा नहीं की गई। ऐसे ऐलान केवल
मुद्रास्फीत को खराब करते है। हमारा ध्यान हमेशा सरकारी खर्च की उपयागिता एवं
दक्षता बढ़ाने पर रहा है। हमने अपने घोषणा पत्र में कृषि ऋण माफी की घोषणा नहीं की
और फिर भी इतने बड़े बहुमत से जीत गए। यह हमारी सामाजिक कल्याण योजनाओं पर बेहतर
लक्ष्यीकरण का ही परिणाम है।
आर्थिक संदर्भ में हम उच्च विकास दर के
साथ कम मुद्रास्फीति वाली एक आदर्श स्थिति में हैं। हम मानते हैं कि अच्छा आर्थिक
विकास ही अच्छी राजनीति है।
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