Saturday, 1 June 2019

आदरणीय नितिन गडकरी जी के साथ संस्मरण


आदरणीय गडकरी जी से मेरा सम्बंध दिल्ली में जब वे भाजपा के अध्यक्ष बने सन 2009 में आया । तब मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था।

उससे पहले भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नागपुर में हुई थी तब मैं वहां गया था जिस, प्रकार  की अभूतपूर्व व्यवस्था , कार्यकर्ताओं का सेवाभाव देखा तो प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। नागपुर की कार्यकारिणी से सभी पदाधिकारी प्रसन्न थे । गडकरी जी के व्यवस्था कौशल्य और कार्यकर्ताओं से स्नेह ने हमें आत्मविभोर कर दिया।

दिल्ली वे जब आए और अध्यक्ष बने तो लगा कि, नए व्यक्ति हैं कैसा स्वभाव है, कार्यप्रणाली कैसी है , कार्यकर्ताओं का आंकलन कैसे करेंगे लेकिन थोड़े ही दिनों में उंहापोह खत्म हो गई। कभी लगा नहीं कि महाराष्ट्र से आए व्यक्ति हमसे अलग हैं । उनके निवास पर कभी भी जाओ तो समयानुसार आथित्य बिना किसी ऊपरी बनावट के सबको प्राप्त था , कभी नहीं लगा कि हम छोटे कार्यकर्ता हैं अध्यक्ष जी से बालहट कैसे  कर रहे हैं।

राजनैतिक कार्यकर्ताओं की आकांक्षा और अपेक्षाएं हर वक्त रहती हैं। राजनीति में हमारी महत्वकांक्षा  का योगदान रहता है सत्ता में अपनी हिस्सेदारी की इच्छा के बारे में मेरे मन में कभी दुविधा नहीं रही । इसमें दो राय नहीं है कि नेतृत्व सभी के अपने आंकलन से सहमत नहीं हो सकता और उसके अपने समीकरण होते हैं। राजनीति में समीकरणों को साधने की मजबूरी भी होती है लेकिन गडकरी जी से कहने में कभी हिचक नहीं हुई। मना करने के बाद भी प्रेम उसी प्रकार बना रहा, व्यवहार का खुलापन ,सभी से मित्रभाव, अपनापन उनकी विशेषता है।

उनके साथ काम करने में ऐसे कई मौके आए जब उनके व्यक्तित्व ने मुझे प्रभावित किया। श्री श्री रविशंकर जी से मेरा व्यक्तिगत सम्बंध है। जब आर्ट ऑफ लिविंग ने एक विशाल कार्यक्रम जर्मनी में आयोजित किया तो उनकी इच्छा थी कि गडकरी जी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते वहां मुख्य अतिथि के रूप में आएं। गडकरी जी को निमंत्रण देने के लिए मैं और डॉ. गुप्ता गए उन्होंने सरलता से स्वीकार कर लिया। जब हम लोग जर्मनी गए तो इनके सहयोगी वैभव जी इनके साथ नहीं गए। गडकरी जी ने अपनी टिकट खुद ही ली थी मैंने भी अपनी टिकट खुद ली । तीन दिन हम वहां साथ रहे। बर्लिन पंहुचते ही होटेल पंहुचकर इन्होंने कहा मैं पराठे,  अचार और कच्चा प्याज लाया हूं तुम मेरे कमरे में आ जाओ खाना खाएंगे। मैं कमरे में पंहुचा बनियान लुंगी में इनके साथ खाना खाया । मेरे लिए सुखद आश्चर्य था । सांयकाल हमने कार्यक्रम में भाग लिया और रात्रि भोज में भी गए।

गडकरी का पैशन था कि जर्मनी की एथेनॉल टेक्नोलॉजी के कार्य को देखें वहां के अम्बेस्डर से मिल कर उस टेक्नोलॉजी को इतने उत्साह से जानने और समझने की उत्सुकता थी कि इन्होंने पूरा दिन इस विषय पर लगाया। देश की एनर्जी की और गन्ना किसानों की समस्याओ को कितने अच्छे तरीके से हल किया जा सकता है इसी पर पूरा फोकस था।

जब हम बाजार गए, वे अपने परिवार के लिए समान खरीद रहे थे मुझे कहा गोपाल तुम भी कुछ लो मैं झिझक रहा था पर इंसिस्ट करने पर मैंने अपनी छोटी बेटी के लिए एक कपड़ा लिया , मेरे बहुत कहने पर भी पैसे मुझे नहीं देने दिए। मेरी भतीजी है उसके लिए मैं उपहार दुंगा, अभी तक मेरी छोटी बेटी को वह गिफ्ट याद है मेरा कोई बहुत पूर्व परिचय नहीं था लेकिन इनका अपनापन बहुत था।

भारत आकर कोई कार्यक्रम करना है तुरंत प्रोत्साहन मिलता था, कार्यक्रमों का मुझे शौक है, वैचारिक गोष्ठी ,एक्टिविस्ट मीट , सोशल इश्यूज पर पॉलिसी इंटरवेंशन आदि इन्होने कभी भी हमें रोका नहीं।

नई दिल्ली में हमने प्राकृतिक संसाधनों पर दो दिवसीय अधिवेशन किया था ,पूरे देश से लोग आए थे । मुझे याद है कि उद्घाटन सत्र में गडकरी जी ने बोला  “Politics has to be the means to socio-economic transformation Politics has to be a by-product of your  social Activity”  यह वाक्य आजतक मुझे याद है। मेरे अपने विचार से कितना सामंजस्य लगा, जैसे मेरे अव्यक्त भावों को अभिव्यक्ति प्रदान कर दी हो ।

सड़कें बनानी है , देश का आर्थिक विकास करना है , गरीबो के कल्याण में रत रहना है । कई बार हम आपस में मजाक भी करते थे गडकरी जी के पास जाएंगे तो Ethanol और सड़क की बात जरूर होगी । आज भी उनका इतना ही Enthusiasm  इन विषयों पर है और उस पैशन का मूर्तरूप देश के सामने है। बढ़िया सड़कें , उन्नत राज्य इनके ध्येय वाक्य की तरह है। ये हरदम Quote करते हैं कि  “American Roads are good not because American is rich but America is rich because American roads are good”  मैं आर्थिक विषयों से जुड़ा हुआ हूं लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता था कि विकास के लिए संसाधनों की कमी कभी नहीं होती। लेकिन गडकरी जी कहते हैं कि आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति समर्पण चाहिए संसाधन आ जाएंगे। आज कई कई लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट के प्रोजेक्ट को गड़करी जी ऐसे पूरा करा रहे हैं जैसे कोई अपना घर बना रहा है।

मेरे जीवन के पचास वर्ष पूरे होने पर मैं एक रात्रि भोज का आयोजन ग्रेटर नोएड़ा में करना चाहता था और इन्हें आमंत्रित किया इन्होंने स्वीकार ही नहीं किया बल्कि उस दिन नागपुर में आवश्यक कार्य आ जाने पर भी वहां से आकर ग्रेटर नॉएडा के मेरे कार्यक्रम में आकर अपने आश्वासन को पूरा किया।

जब उनके भाजपा  का अध्यक्षीय कार्यकाल पूरा हो रहा था और निश्चित था कि पुनः अध्यक्ष बनेंगे उस वक्त लॉ कॉस्ट हाउसिंग के इनके नागपुर के प्रोजेक्ट को देखने का हमारा कार्यक्रम तय हुआ था,  दुर्भाग्यवश इन्होंने अध्यक्ष पद अस्वीकार कर दिया। अगले दिन हम साथ में नागपुर गए, कार्यकर्ता दोगुने उत्साह से एयरपोर्ट पर लेने आए थे । एयरपोर्ट से अपने घर भोजन के लिए ले गए उनकी पत्नी एवं बिटिया ने भोजन कराया। इन्होंने कॉपरेटिव के तहत कई हजार लॉ कॉस्ट हाउस बनाए थे, उन प्रोजेक्टस को पूरा दिखवाया । पूरा कार्यक्रम यथावत रहा कहीं कोई तनाव या उदासीनता नहीं थी ।

पानी के विषय पर मैं काफी कार्य कर रहा हूं । पानी के निजीकरण एवं व्यवसाईकरण पर मेरा विरोध है, लेकिन विचारों की भिन्नता पर भी  मेरे काम को रोका नहीं। इनका सोचना है कि वैचारिक आधार पर समय की आवश्यकता को देखते हुए हमें अपने को संक्रीणता में नहीं अवरूद्ध करना है । निजी सम्पत्ति की देश को विकास के लिए आवश्यकता है।  निजीकरण करना ही चाहिए यह निजी निवेश को प्रोत्साहित करता है इसी सोच के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग, जलमार्ग आदि में बिना संसाधनों की सीमितता के हम तीव्र विकास देख रहे हैं। अभी हाल में गडकरी जी ने कहा कि मैं वर्कहोलिक हूं जिस काम को करता हूं उस पर ही पूरा ध्यान देता हूं । पिछले पांच सालों में एक भी ऐसा काम नहीं है जो मैंने कहा हो और नहीं किया हो । एक जगह उन्होंने कहा कि मैंने कई ठेकेदारों से कहा कि यदि उनके द्वारा बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता खराब निकली तो मैं उन्हें बुलडोजर के नीचे डलवा दूंगा। उन्होंने पारदर्शिता पर चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि किसी ठेकेदार को ठेकों के लिए दिल्ली आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जो सड़क निर्माण दर यूपीए के शासनकाल में दो किमी प्रतिदिन हो गई थी अब वो 37 किमी प्रति दिन हो गई है उनके अनुसार जिस तरह एनडीए सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में सड़क नेटवर्क पर अच्छा काम किया उसी तरह दूसरे कार्यकाल में पानी के नेटवर्क को सुधारा जाएगा

संसाधनों की सीमितता के कारण आधारभूत ढांचे में निजी निवेश की आवश्यकता और महत्व को उन्होंने कभी भी अस्वीकार नहीं किया। आज देश में एक सफलतम मंत्रालय का पिछले पांच वर्ष में संचालन किया I feel that Really he is the man of the moment and men for the all the Moment .  उनके विचारों में एक ताजापन है , एक बेबाकी है, शब्दों को कभी तोड़ मरोड़ कर नहीं कहा और व्यक्ति एवं समय देखकर कभी बदला नहीं। मुझे खुशी है कि ऐसे व्यक्तित्व के साथ मेरा सम्बंध रहा।  इनसे बहुत कुछ सीखा, इनकी जीवन इसी प्रकार लक्षित बना रहे। जीवन के उतार चढ़ाव से अन उद्देलित, अपने मार्ग पर मुक्तसर अग्रसित  आदरणीय श्री नितिन गडकरी जी एक निष्ठावान कार्यकर्ता हैं अपनी जिम्मेदारियों को सकुशल निभाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। समाज की समस्याओं का गहराईयों से चिंतन और उसके निदान के मार्ग का अन्वेषण और अगर मार्ग स्पष्ट हो गया तो फिर उस पर तीव्र गति से बिना झिझक अग्रसर होने का गडकरी जी का स्वभाव बन गया है और यहीं उनकी सफलता की कुंजी भी है। सब समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना।

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