मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा कर चुकी है। 2019 का जनादेश ऐतिहासिक था। 35 साल बाद किसी सरकार की इतने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी हुई। ऐसा जनादेश आत्मविश्वास तो देता ही है, साथ में कई चुनौतियां भी लेकर आता है। पहले कार्यकाल में सरकार ने पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित करने वाले कई संरचनात्मक बदलावों को अंजाम दिया जिनके चलते धन की केंद्रीकृत प्रवृत्ति, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, सामाजिक वितरण तंत्र में रिसाव और कर संग्रह में अनियमितता बीती बात हो चुके हैं। मोदीजी ने कभी खुद को केवल प्रबंधन करने तक सीमित नहीं रखा। चुनौतियां को हमेशा अवसर मानकर उन्होंने हर समस्या का दृढ़ता से सामना किया।
विचारधारा को प्राथमिकता
इस लिहाज से देखें तो दूसरे कार्यकाल का यह पहला साल भी कम विकट नहीं रहा है। सरकार का ध्यान जीवनयापन में सुगमता लाने और अर्थव्यवस्था को औपचारिकता प्रदान करने पर अधिक रहा। इस वर्ष विचारधारा को अन्य चीजों पर वरीयता प्राप्त हुई है। अमित शाह ने ठीक ही कहा था कि ‘हम दूसरे कार्यकाल में केवल शासन करने के लिए नहीं, भारत के दीर्घकालिक मुद्दों को हल करने के लिए चुने गए हैं।’ ऐसी कुछ ऐतिहासिक समस्याओं से भारत त्रस्त था। अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी प्रकिया के रूप में लाया गया था, पर वह हमें स्थायी रूप से परेशान कर रहा था। जम्मू-कश्मीर के भारत का अभिन्न अंग होने की बात हम दोहराते रहते थे लेकिन जमीन पर स्थिति बिल्कुल अलग थी। मोदी सरकार ने इसे एक झटके में हटा दिया। लोग चकित थे कि हम इतने वर्षों से इंतजार क्यों कर रहे थे! नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लाना, रोहिंग्या घुसपैठियों का मुद्दा उठाना या एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) पर काम शुरू करना बताता है कि इस सरकार के लिए भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोच्च है।
इस कार्यकाल का दूसरा बजट पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए रोडमैप तैयार करने के लिहाज से मील का पत्थर है। इस बजट में आर्थिक विकास के तहत सरकार ने सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे तकनीकी केंद्रों, बिजली और अक्षय ऊर्जा, कनेक्टिविटी के लिहाज से महत्वपूर्ण हवाई अड्डों, बंदरगाहों और रेलवे का ध्यान रखा। वित्त मंत्री ने केंद्र, राज्य और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से वित्तपोषण के लिए 6500 परियोजनाओं की पहचान करने वाली राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत 103 लाख करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े तंत्र को स्वरूप दिया। व्यापक धन सृजन, व्यावसायिक नीतियों और न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप पर केंद्रित इस बजट में करदाता के अधिकार चार्टर के रूप में प्रशासन के भीतर जवाबदेही लाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी शामिल है। करदाता के अधिकार का प्रावधान दुनिया भर में केवल तीन अन्य देशों में मौजूद है।
कॉर्पोरेट करों में 25 प्रतिशत कमी करने, कंपनी अधिनियम 2013 में व्यापक बदलाव लाने, घरेलू इकाइयों की सुरक्षा के लिए आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर से इनकार करने, आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर पुनर्विचार करने और आठ खंडों में आयात शुल्क बढ़ाने जैसे कदम उद्योगों को अनुचित वैश्विक प्रतिस्पर्धा के हमले से बचाने के लिए उठाए गए हैं। कोविड-19 एक नई परिघटना है। आर्थिक अनिश्चितता, नौकरियों की अनियमितता और वित्तीय समस्याओं के कारण अर्थव्यवस्था में मांग कम हो रही है, इसलिए सरकार का ध्यान मांग बढ़ाने पर है। बदले माहौल में गैर-वैश्वीकरण की प्रवृत्ति और तेज हो सकती है इसलिए भारत महत्वपूर्ण उत्पादों और क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड में सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप ब्याज पर जोखिम प्रीमियम कम हुआ है और रिजर्व बैंक द्वारा रेपो और रिवर्स रेपो दर में लगातार कमी ने प्रमुख उधार दर को नीचे ला दिया है। वर्तमान में अधिक लॉजिस्टिक कॉस्ट के चलते हमारे विनिर्माण क्षेत्र के लिए परिवहन लागत विश्व स्तर से कोई 40 प्रतिशत ज्यादा है। सरकार ने 2022 तक इसे नीचे लाने के लिए राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति की घोषणा की है।श्रम सुधारों की आवश्यकता को समझते हुए कई मौजूदा श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समेकित करने का फैसला किया गया है। श्रम सुधारों के अनुपालन में ढील देने और मजदूर कल्याण को आसान बनाने, निर्माण क्षेत्र में श्रमिकों के लिए सुविधा तैयार करने और उनके लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर लाने जैसी पहलकदमियां इसमें शामिल हैं।
कानूनों के आसान अनुपालन के लिए तकनीकी नवाचार जरूरी है। सरकार ने आयकर अधिनियम के लिए वर्चुअल ई-आकलन की घोषणा की है। रिजर्व बैंक, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी और सेबी आदि के अधिकांश अनुपालन ऑनलाइन हो गए हैं। अप्रत्यक्ष करों को जीएसटी नेटवर्क के माध्यम से ऑनलाइन किया गया है। केंद्र सरकार ने अधिकांश क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग से एफडीआई की अनुमति दी है, जिनमें कुछ में ही सेक्टोरल कैप हैं। एफडीआई को सुगम बनाने के लिए फेमा और प्रत्यावर्तन नियमों के तहत प्रतिबंधों में छूट दी गई है।
भविष्य का रोडमैप
केंद्र सरकार ने अटल इनोवेशन मिशन, अटल इन्क्यूबेशन सेंटर और अटल टिंकरिंग लैब्स जैसे मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की स्थापना की थी। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), बिग डेटा और एनालिटिक्स जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत के लिए बड़ी गुंजाइश है। आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत सरकार ने अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी जैसे पांच स्तंभों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे अनेक अवसर पैदा होंगे। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आगे के लिए रोडमैप तैयार है और हम पूरे उत्साह के साथ इस पर अमल को लेकर प्रतिबद्ध हैं। भारत के हित और प्रखर राष्ट्रवाद के साथ हमारी सरकार सभी नीतियों को लागू कर रही है और यह आश्वासन दे रही है कि सबका भविष्य सुरक्षित हाथों में है।
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