प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर सभी देशवासियो को बधाई देते हुए कहा कि भारत अवसर, विकल्प और खुलेपन के संयोजनमे विश्वास करता है। भारत ने संरचनात्मक एवं घरेलू विनिर्माण में सुधार किया है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार श्रृंखला में भागीदारी के लिएप्रतिबद्ध है।
भारत वैश्विक आपूर्ति भंखलाओं के साथ घरेलू उत्पादन और खपत के विलय की बात करता है। नरेन्द्र मोदी ने कभी राष्ट्रहित में कड़े फैसले लेने मे तनिक भी संकोच नहीं किया है। उनके पास कड़े फैसले लेने की इच्छाशक्ति भी है। जैसे- रेलवे का निजीकरण, पीएसयू विनिवेश, कॉरपोरेट टैक्स को कम करना और कोयला खनन को निजी क्षेत्र के लिए खोलना! ये निर्णय हमारी अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक मजबूती के लिए आवश्यक हैं।
आत्मनिर्भरता का व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय पहलू भी है! देश की आत्मनिर्भरता का भी समय आ गया है ! आत्म निर्भर भारत अभियान एक 360 डिग्री पहल है, जिससे भारत वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ साथ घरेलू विनिर्माण को क्षेत्रीय और वैधिक सप्लाई चैन से जोड़ेगा ! हमें विकास के लिए जिन अतिआवश्यक पांच पिलर पर फोकस करने की जरूरत है। वे हैं, इकॉनॉमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी। हमारा लक्ष्य उत्पादों को वैश्विक स्तरपर प्रतिस्पर्धी बनाने पर होना चाहिए इसके लिए जो जरूरी उनकी दक्षता में सुधार! हमारे उद्योगों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए लागत कम करना आवश्यक है। यह केवल मैन्युफैकरिंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जरूरतमंदों और गरीबों को सीधे लाभ हस्तांतरण करना भी जरूरी है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में मांग पैदा हो रही है और जरूरतमंदों, विशेष रूप से किसानों, प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी मजदूर आदि की मदद भी हो सकेगी।
हमारी सरकार अर्थव्यवस्था एवं गरीबों के कल्याण जैसे सभी विषयों को ध्यान में रखकर निर्णय लेती है। सरकार दूरगामी वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों की तरफ भी तेजी से काम कर रही है ताकि हमारे देश की पेट्रोल पदार्थों के आयात परनिर्भरता कम की जा सके | सरकार समाज की आवश्यकता और समाज के सभी वर्गों के हितों को साधती है। आत्मनिर्भर भारत अभियान से पहले, 10 आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए गए, इन देशों से कस्टम ड्यूटी कम करने से घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में उल्टे शुल्क द्यंचे कानिर्माण हो रहा था, जिसने स्थानीय उद्योगों को नष्ट कर दिया और निर्माताओं को आयातको में परिवर्तित करदिया।इसलिए हम मुक्त व्यापार समझौते पर पुन्ह विचार कर रहे हैं! पिछले बजट में, हमारी सरकार ने लगभग 56 वस्तुओं आयात शुल्क भी बढ़ाया था। ये सभी प्रयास घरेलू उद्योगों को डंपिंग के हमले से बचाने केलिए थे। घरेलू निर्माण को मजबूत बनाये बिना, उत्पादन लागत को कम करने और उत्पादन के कारकों कौ दक्षता बढ़ाये बिना हम आयातों कौ बाढ़ नहीं रोक सकते हैं।
विश्व
ने कोरोना महाममारी को देखा है,
दुनिया
को एक देश पर आपूर्ति श्रृंखला के लिए निर्भरता से जुड़े जोखिम भी समझ में आ गए
हैं। हमारे पास ग्लोबल मैन्युफैक्वरिंग कंपनियों के लिए रिस्क डायवर्जन स्ट्रैटेजी
के रूप में नए अवसर हैं। यह कोरोना संकट से उत्पन्न चुनौतियों के भीतर भारत के लिए
एक अवसर है। भारत के निर्माताओं को इस सुनहरे अवसर का लाभ लेने के लिए, इस तरह के क्षेत्रों में आगे आने की जरूरत है;
जैसे खिलौने,
बिजली के उपकरण,
इलेक्ट्रॉनिक्स,
खनिज, रसायन, लोहा और इस्पात, प्लास्टिक, फर्नीचर, खेल के सामान, संगीत वाद्ययंत्र, उर्वरक और ऐप्स । यदि हम घरेलू स्तर पर
कॉम्पैरेटिव फायदे के सिद्धांत को देखते हैं तो हमें कृषि जैसे क्षेत्रों पर ध्यान
केंद्रित करना होगा; विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, किफायती आवास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा और हमारे सकल घरेलू उत्पाद में उनके योगदान को बढ़ाना हैं। इन क्षेत्रों में पर्याप्त गुंजाइश है, बड़े रोजगार उत्पन्न कर सकते हैं! हम सही रास्ते पर हैं। हमें मजबूत सामूहिक संकल्प कौ आवश्यकता है। आज का दिन उस संकल्प का दिन है!
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