Friday, 12 March 2021

बजट – 2021 – नए भारत का आधार

 यह बजट असाधारण परिस्थितियों में पेश किया गया है जब देश कोरोना संक्रमण के दौर से जूझ कर हर क्षेत्र में विकास के लिए आगे बढ़ने के लिए तैयार है। यह सभी वर्गों खास कर युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं, संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और छोटे बड़े उद्यमियों की आशाओं व आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बजट है।

कौरोना की त्रासदी से हम सभी के ध्यान में आया कि स्वास्थ्य एवं आर्थिक विकास ऐसे दो क्षेत्र का देश के विकास में महत्वपूर्ण स्थान है। सरकार की पहली प्राथमिकता में जनजीवन के स्वास्थ पर ध्यान देना था जिसके फलस्वरुप आज हम कौरोना की मार से काफी हद तक निकलने की स्थिति में आ गए हैं। सरकार ने इसकी भी चिंता की है कि गरीब, ग्रामीण लोगों तक लाभ धनराशि के रूप में सीधे पहुंचे। आत्मनिर्भर भारत योजना ने इस कार्य को तीव्रता से आगे बढ़ाया। अगला कदम था जो कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को धक्का लगा उसे दुरुस्त करना। मोदी जी ने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का काम किया और आज अगर हम देखें तो देश की अर्थव्यवस्था पूनः विकास पथ पर अग्रसर हो गई है। रिसर्व बैंक की रिपोर्ट हो या वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक रिपोर्ट सभी देश की आर्थिक पहलुओं की मजबूत स्थिति दर्शाती है। परचेस मैनेजर इंडेक्स भी उद्योगों की बढ़त ही दर्शाता है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सूचकांक भी आठ क्षेत्र में विकास की अच्छी दर दर्शा रहा है। जीएसटी का कर संग्रह पिछले तीनों माह में एक लाख करोड से ऊपर रहा है। इन से इतर आईएमएफ रिपोर्ट के अनुसार भी भारत की सकल घरेलु अर्थव्यवस्था अगले वर्ष 11.5 प्रतिशत से बढ़ेगी और भारत विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

इस बजट में इस मजबूत आर्थिक आधार को और समर्थन देने की आवश्यकता थी जिसको वित्त मंत्री जी ने बखूबी निभाया है।

यह छः स्तंभो को रेखांकित करने वाला नए दशक का बुनियादी दृष्टि -पत्र है। कोविड संक्रमण की विषम परिस्थिति में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत की क्षमता को पहचानते हुए आत्मनिर्भर भारत का संकल्प देश के सामने रखा। यह बजट आत्मनिर्भरता के उसी संकल्प को सिद्ध करने की कड़ी है।

ऐसे सर्वस्पर्शी, सर्व-समावेशी एवं देश के सर्वांगीण विकास के प्रति समर्पित बजट 2021-22 में में स्वास्थ और कल्याण, वित्तीय पूंजी, समावेशी विकास, मानव पूंजी का विकास, अनुसंधान एवं विकास और न्यूनतम सरकार और अधिकतर शासन पर विशेष ध्यान दिया गया है।

इस बजट के मूल्यांकन में इसकी मूल भावना को समझना जरुरी है। महीनों तक लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के रुकने की चुनौती के बावजूद आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति वाले सशक्त भारत की यह तस्वीर प्रस्तुत करता है। और इस बजट में मजबूत भारत की आकांक्षा रखने वाली संकल्पशक्ति भी नजर आती है। हम सब जानते है कि दूरदर्शी और संकल्पवान नेतृत्व ही आपदा को अवसर में बदल सकता है।

इस बजट में ढ़ाचागत सुधारों पर विशेष जोर दिया गया है। पिछले बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए 4.21 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे जबकि इस वर्ष 5.54 लाखों रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है जो कि पिछले बजट से 34 फ़ीसदी अधिक है। व्यापक रूप से अचल संपत्ति जैसे सड़क मार्ग, रेल, हवाई अड्डा, पुल आदि के निर्माण में खर्च धनराशि से व्यापार में सुविधा एवं दैनिक जीवन यापन में सहूलियत होती है। इस बढे हुए खर्च से अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी स्टील, सीमेंट, कंसट्रक्शन का सामान सभी क्षेत्र में तेजी आएगी और उद्योग एवं नौकरियों का सृजन भी होगा।

7 मेगा टैक्सटाइल पार्क बनाने की घोषणा की गई है जो देश में रोजगार सृजन में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार को भी आगे बढ़ाया गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार ने अपने खर्च को 137 प्रतिशत बढ़ाया है। आज कोरोना की दो वैक्सीन भारत में बनी है। भारत वैक्सीन एवं दवाइयों के क्षेत्र में एक विश्व शक्ति बनकर आने वाले समय में उभरेगा। इसका इस बजट में पूरा ख्याल रखा गया है।  

शिक्षा एवं रिसर्च पर विशेष ध्यान दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। 100 से ज्यादा सैनिक स्कूलों और हायर एजुकेशन काउंसिल (HECI) का गठन तथा 15,000 स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाए जाने का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा को मजबूत करेगा। रिसर्च के लिए भी 50,000 करोड़ रुपए अलग से रखे गए हैं। आदिवासी इलाकों में 38,000 करोड़ रुपए की लागत से 750 एकलव्य स्कूल खोले जाने का प्रयास भी काफी उत्तम है। शिक्षा की दृष्टि से यह काफी सराहनीय कदम है।

किसानों की आय दोगुना हो, उसकी उपज का उन्हें सही मूल्य मिले, उन्हें अपनी फसल बेचने में कठिनाई न हो, किसानों की मेहनत आढ़तियों तथा बिचौलियों की भेंट न चढ़े, इसको लेकर सरकार लगातार सुधारवादी कदम उठा रही है। फसलों पर एमएसपी बढ़ाकर उसे उत्पादन लागत का डेढ़ गुना किया गया है। साथ ही मोदी सरकार ने कांग्रेस की यूपीए सरकार से करीब 3 गुना अधिक राशि देश के किसानों के खाते में अब तक पहुंचा दी है।

मोदी सरकार जन-जन तक स्वच्छ पीने का पानी पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है। स्वच्छ जल के लिए देशभर में अगले 5 वर्षों में 2.87 लाख करो रुपए का प्रवधान किया गया है। शहरी इलाकों के लिए भी जल जीवन मिशन शुरू किया जाना एक अच्छा कदम है।

1938 से चले आ रहे इंश्योरेंस एक्ट में बदलाव किया गया है। इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की नीति में बदलाव लाया गया है। इसकी चर्चा बहुत दिनों से चली आ रही थी, लेकिन यह परिवर्तन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है। वीनिवेश की नीति पर स्पष्ट पॉलिसी लाकर सरकार धनार्जन प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजिकरण के द्वारा सरकार का प्रयास है कि जिन क्षेत्रों में सरकार का कोई विशेष औचित्य नहीं है उन्हें विनिवेश करना उचित होगा। सरकार ने राजकोषिय घाटे को बढ़ाकर और ऋण आपूर्ति के द्वारा संसाधनों को जुटाने का मार्ग चुना है जिसे सभी के द्वारा सराहा गया है। जबकी सभी तरफ से यही सुझाव आ रहे थे की डायरेक्ट टैक्स बढाया जा सकता है लेकिन अनेक चुनौतियों के बावजूद मोदी सरकार ने जनता पर किसी प्रकार का कोई अतिरिक्त भार नहीं डाला है। समय की मांग थी कि सरकार अपने व्यय को बढ़ाए और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करें ।

सरकार ने हर तरह से अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया है। सभी लोगों ने मुक्त हृदय से स्वागत किया है।  

 

गोपाल कृष्ण अग्रवाल

राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा आर्थिक मामलों

gopalagarwal@hotmail.com

 

 

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