आधिकारिक तौर पर पेट्रोल और डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल से तय होती है। पेट्रोल की कीमत अंतरराष्ट्रीय और ग्लोबल वजहों से तो बढ़ती है, लेकिन इसमें कई कारण घरेलू भी होते हैं। पेट्रोल प्राइसेज और फेडरल स्ट्रक्चर को हमें समझने की जरूरत है।
जितनी भी हमारी पेट्रोल की आवश्यकता है
उसका 85 फीसदी हम इंपोर्ट करते हैं। हमारे
पूरे इंपोर्ट का 70 फीसदी बिल पेट्रोलियम पदार्थो के
इंपोर्ट पर खर्च हो जाता है। भारत की पेट्रोलियम पदार्थो की खपत को लेकर स्थिति काफी
सीमित है। इसीलिए हमें अपनी उर्जा की खपत के लिए
पेट्रोलियम स्रोतो के अलावा अन्य वैकल्पिक स्रोतो को भी अपनाना पड़ेगा।
वास्तव में प्रदेश सरकार और राज्य
सरकार दोनों ही इस पर एक्साइज और वैट टैक्स लगाते हैं और इस टैक्स का कॉम्पोनेंट
काफी ज्यादा है। जहां तक प्रदेश सरकारों की बात है, केंद्र सरकार राज्य सरकार को अपने टैक्स कलेक्शन का 42 फीसदी भाग सीधा ट्रांसफर करती हैं।
इसके अलावा केंद्र सरकार की जितनी भी जनकल्याणकारी योजनाएं हैं उसका पैसा भी
केंद्र सरकार राज्य सरकारों को देती है। तो ऐसे में केंद्र सरकार के कलेक्शन का ज्यातर
हिस्सा राज्य सरकारों को चला जाता है। इसलिए हमारा ऐसा मानना है कि राज्य सरकारों
को अपना वैट कम करना चाहिए,
जिससे तेल की कीमतों पर नियंत्रण किया
जा सके।
अगर तेल की कीमतों पर नियंत्रण करना है
तो इसका लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन यही है कि इसे भी जीएसटी के अंदर ही लाया जाए।
केन्द्र सरकार इसके लिए राज्य सरकारों से अग्रह भी किया है। केंद्र सरकार राज्य
सरकारों को जीएसटी के अन्तर्गत भी पूरा कंपनसेशन दे रही है।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि रिन्यूएबल
एनर्जी की तरफ सरकारों को ध्यान देना आवश्यक है। बीजली आपूर्ति के लिए जो डिसकॉम
कम्पनियां है उनकी माली हालत भी काफी खराब है, हमारी सरकार ने उनकी हालत दुरुस्त
करने के लिए बजट में काफी प्रावधान किए है। देश का बिजली डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क काफी
पुराना और खस्ता हालत में पड़ा हुआ है। हम उसको मजबूत करने की तरफ भी कार्य कर रहे
हैं। इसके अलावा बैटरी ऑपरेटेड गाड़ियां ज्यादा से ज्यादा सड़कों पर आए इस संबंध
में एक दीर्घकालिक नीति बनानी होगी जिसपर भी पिछली सरकारो ने ध्यान नहीं किया।
पुरानी सरकारें तेल कंपनियों को
सब्सिडी ऑईल बॉड के रुप में दे दिया करती थी, मोदी सरकार अब उसका भुगतान कर रही है। पिछली सरकारों ने पेट्रोल-डीजल को सब्सिडाइज किया, उस राशि को तेल
कम्पनियों को भुगतान भी नहीं किया और बजट में उसका प्रावधान भी नहीं किया। अब वह
हमारी सरकार को भुगतान करना पड़ रहा है। यह वजह भी है कि आज हम पेट्रोल प्राइस को
लेकर बुरी स्थिति में फंसे हुए हैं। इन सारी चीजों को जनता को समझना पड़ेगा।
इसके अलावा कोविड-19 महामारी की वजह से भी इनकम टैक्स का
कलेक्शन काफी कम हुआ है। कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत टैक्स लगभग 26 फीसदी घटा है, जबकि
केंद्र सरकार ने प्रदेशो को फंड ट्रांसफर में कोई कमी नहीं की है और अपना वार्षिक
खर्च भी कम नहीं किया है। केंद्र सरकार कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आत्मनिर्भर
भारत के अन्तर्गत कई नई जन कल्याणकारी योजनाएं लेकर आई है।
हेल्थ सेक्टर और आत्मनिर्भर भारत में
काफी खर्च बढ़ाया गया है। यह टैक्स का कलेक्शन कम होने के बावजूद भी पूरा खर्च
केन्द्र सरकार की तरफ से किया गया है।
केन्द्र सरकार के इस वर्ष के बजट में
लगभग 14.5 प्रतिशत आय घटने के बावजूद अपने खर्च को, अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को
ध्यान में रखते हुए 34 प्रतिशत से बढाया है। इसके परिणाम स्वरुप ही हमारी
अर्थव्यवस्था कोविड के बाद तेजी से पटरी पर आ रही है।
सरकार ने राजकोषीय घाटे को बढ़ाकर और ऋण
आपूर्ति के द्वारा संसाधन जुटाने का मार्ग चुना है जिसे सभी के द्वारा सराहा गया
है हालांकि सभी तरफ से यही सुझाव आ रहे थे कि डायरेक्ट टैक्स बढ़ाया जाए। तमाम चुनौतियों के बावजूद
मोदी सरकार ने जनता पर कोई अतिरिक्त भार नहीं डाला है। समय की मांग थी कि सरकार
अपने व्यय को बढाए और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करें। सरकार ने हर तरह से
अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने की कोशिश की है।
अगर आज हम देखें तो देश की
अर्थव्यवस्था पुनः विकास पथ पर अग्रसर हो गई है। रिजर्व बैंक के रिपोर्ट हो या वित्त
मंत्रालय की मासिक आर्थिक रिपोर्ट, सभी आर्थिक मोर्चे पर देश की मजबूत होती स्थिति
को दर्शाती हैं। पर्चेज मैनेजर इंडेक्स भी उद्योगों की बढ़त ही दर्शा रहा है।
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सूचकांक आठ क्षेत्रों में विकास की अच्छी दर दर्शा रहा है। जीएसटी का कर संग्रह पिछले तीनों महीनों में
एक लाख करोड से ऊपर रहा है। इन से इतर आईएमएफ रिपोर्ट
के अनुसार भी भारत की जीडीपी अगले वर्ष 11.5 प्रतिशत से बढ़ेगी और भारत विश्व की सबसे तीव्र
गति से बढ़ने वाले अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
पिछली सरकारो की गलत नीतियों को ठीक
करने के लिए और वर्तमान में अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को ध्यान में रखकर सरकार सभी
महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है। विश्व स्तर पर भी सरकार तेल उत्पादन को बढ़वाने के लिए
प्रयास कर रही है।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल
राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा आर्थिक मामलो
gopalagarwal@hotmail.com
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