Monday, 29 April 2019
Democracy and Institution Destabilizers
Monday, 22 April 2019
भाजपा के संकल्प पत्र पर गोपाल कृष्ण अग्रवाल जी का विचार
भाजपा के संकल्प पत्र पर गोपाल कृष्ण अग्रवाल जी का विचार
महज चुनावी चिंता नहीं, सशक्त राष्ट्र का रोडमैप
भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी संकल्प पत्र न केवल पार्टी की पांच साल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा है बल्कि भारत को सशक्त राष्ट्र की हैसियत तक पहुंचाने का रोडमैप भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जारी किए जाने के मौके पर कहा कि 130 और कौशल करोड़ भारतीयों की शक्ति और के बलबूते और जन भागीदारी के साथ हमने अवरोधों को अवसरों में बदला है। जिन मोर्चों पर बीजेपी कामयाब रही है, उनमें सबसे प्रमुख है महंगाई दर जो पिछली सरकार में 9 फीसद से ऊपर थी और अभी 3 प्रतिशत से कम है।
2019 के संकल्प पत्र में जिन विषयों पर सरकार ने सबसे ज्यादा जोर दिया है, उनमें सबसे ऊपर है आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति। इसी से जुड़ा हुआ मामला घुसपैठियों का है, जिसने देश में सांस्कृतिक और भाषाई परिवर्तन किया है। इसे रोकने के लिए चरणबद्ध तरीके से एनआरसी को देशभर में लागू किया जाएगा। बीजेपी ने अपने संकल्प में नागरिकता संशोधन बिल पर पुरानी प्रतिबद्धता जताई है। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय हित के खिलाफ भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण वाले अनुच्छेद 35 ए को खत्म किया जाना और अनुच्छेद 370 पर कटिबद्धता भी इसका हिस्सा है।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अपने आप में एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे विश्व स्तर पर सराहा जा रहा है। इसके तहत 10.74 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख का वार्षिक स्वास्थ्य कवर उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही 2022 तक डेढ़ लाख 'स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र' स्थापित करने की बात संकल्प पत्र में है। अभी 17,150 'स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र काम करने लगे हैं। देशभर के लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराए जाने के वायदे पर बीजेपी कायम है। सुपर कंप्यूटर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और क्वांटम मिशन भारत को इंडस्ट्री 5.0 के लिए तैयार करेंगे जिससे सभी संसाधनों का सतत उपयोग किया जा सके। मिशन शक्ति के बाद अगला लक्ष्य गगनयान का प्रक्षेपण है।
संकल्प पत्र में तीन तलाक, निकाह हलाला जैसी प्रथाओं के उन्मूलन के लिए कानून पारित करने की बात भी है। - संविधान में प्रावधान के जरिये संसद और राज्य विधानसभाओं - में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए बीजेपी प्रतिबद्ध है।
गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों के प्रतिशत को अगले 5 वर्षों में दहाई से इकाई में लाने का लक्ष्य रखा गया है। महिलाओं को रोजगार में ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने के लिए 10 प्रतिशत सरकारी खरीदारी सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों से की जाएगी, जिनकी 50 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं होंगी। 2022 तक कच्चे घर में रहने वाले सभी लोगों को पक्का घर दिया जाएगा। जहां तक किसानों का प्रश्न है, उनको लेकर बीजेपी की एक व्यापक योजना है जिसमें सभी के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, छोटे और सीमांत किसानों के लिए पेंशन, कृषि-ग्रामीण क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपये का नया निवेश और ब्याज मुक्त किसान क्रेडिट कार्ड ऋण शामिल हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सभी संभावनाओं की तलाश, भाषाओं और बोलियों के लिए कार्यबल, गंगा की निर्मलता और अविरलता, सबरीमाला को लेकर आस्था- विश्वास को संवैधानिक संरक्षण तथा योग के प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पपत्र में प्रतिबद्धता दोहराई गई है। बीजेपी का यह भी मानना है कि बिना समान नागरिक संहिता के लैगिक समानता कायम नहीं की जा सकती और एक नीति निर्देशक सिद्धांत के रूप में यह संविधान में भी दर्ज है।
सुपर कंप्यूटर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और क्वांटम मिशन भारत को इंडस्ट्री की पांचवी पीढ़ी के लिए तैयार करेंगे।
जी. के. अग्रवाल
भाजपा का संकल्प पत्र २०१९ देश को सशक्त रूप से स्थापित करने का रोड मैप
Thursday, 11 April 2019
कांग्रेस घोषणा पत्र : देशहित से दूर होती कांग्रेस
सेना से ज्यादा आतंकवादियों के मानवाधिकार की चिंता
सेना से ज्यादा आतंकवादियों के मानवाधिकार की चिंता
इसी तरह कांग्रेस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए से राजद्रोह के प्रावधान को हटाए जाने का वादा देश के अंदर चुन की तरह लगी राष्ट्रविरोधी ताकतों को समर्थन और मजबूती देना है। इससे माओवाद और उन्हें समर्थन देने वाले छद्म प्रबुद्ध वर्ग के विरुद्ध संघर्ष कमजोर होगा। सीआरपीसी के तहत भी अभियोगाधीन आपराधिक मामलों में जमानत की बात इसी श्रृंखला की कड़ी है। अपने घोषणापत्र में कांग्रेस कोई मजबूत आर्थिक नीति नहीं प्रस्तुत कर पाई है। जिस 'न्याय' योजना की बात वह कह रही है, उसके लिए जरूरी संसाधन जुटाने को लेकर उसके पास न तो जवाब है और न ही भविष्य की कोई रणनीति। कांग्रेस 72000 करोड़ रुपये की आर्थिक योजना के लिए मध्यवर्ग पर कर का और ज्यादा बोझ डालने की बात कर रही है। इसके लिए वह कितनी अन्य योजनाओं को निरस्त करेगी, यह अभी नहीं बता रही। इसका बोझ प्रदेश सरकारें भी वहन करेगी। बिना उनकी सहमति के केंद्र यह घोषणा नहीं कर सकता।
किसानों की समस्याओं को लेकर क्या रोडमैप है, कुछ नहीं बताया गया। अलग किसान बजट की घोषणा करने से क्या होगा, स्पष्ट नहीं है। वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी कांग्रेस एक रेट की बात करके आम जनता पर बोझ ही बढ़ाएगी। क्या शराब और खाद्यान्न पर एक ही टैक्स होना चाहिए? बीजेपी ने जीएसटी के अंतर्गत आम
जनता की आवश्यकता की वस्तुओं पर टैक्स दर काफी कम की है जो कांग्रेस बदलना चाहती है। 22 लाख सरकारी नौकरियों की संख्या बेमानी है। केंद्र में केवल 4 लाख नौकरियां है और सरकारी उद्यमों में केंद्र किसी को रखवा नहीं सकता। रोजगार की समस्या का यह कोई समाधान नहीं है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि वह न्यायपालिका व्यवस्था में व्यापक बदलाव करेगी। उसकी योजना है कि एक बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक अदालत में बदल दिया जाए और एक अपीलीय अदालत का निर्माण करके हाई कोटों में फैसला पा चुके मामलों को सुना जाए। ऐसी व्यवस्था का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि सारे मामले अंततः सुप्रीम कोर्ट में ही आकर समाप्त होंगे।
इस नए प्रावधान से न्याय प्रक्रिया लंबी और जटिल हो जाएगी। कांग्रेस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए न्यायिक आयोग स्थापित करना चाहती है। ऐसा कोई भी प्रावधान न्यायपालिका में हस्तक्षेप जैसा होगा। कांग्रेस कानून बदलेगी और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से कहेगी कि पत्रकारों के लिए कोड ऑफ कंडक्ट लाए। यह पत्रकारों की स्वंतत्रता पर सीधा प्रहार होगा। बिना व्यापक विमर्श के यह खतरनाक होगा। आज हजारों अखबार, न्यूज चैनल और वेबसाइट हैं जिनकी पहुंच वैश्विक है। बहुत सी चीजें सेल्फ रेगुलेटरी होती जा रही हैं। कांग्रेस को समझना चाहिए कि लोकतंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण होती है। पार्टी को उन चीजों से दूर रहने की जरूरत है जो देश हित में नहीं हैं।
"जिस 'न्याय' योजना की बात कांग्रेस कह रही है, उसके लिए संसाधन जुटाने उसके पास कोई को लेकर जवाब नहीं है"|