किसी भी राजनितिक
दल के लिए उसका घोषणा पत्र उसकी भविष्य की योजनाओं का लेखा जोखा होता है और यह
दस्तावेज़ बताता है कि किसी भी विषय पर उस राजनितिक दल का दृष्टिकोण क्या है। देश
के सबसे पुराने राजनितिक दल और देश में सबसे लम्बे समय तक सत्ता में काबिज़ रहने
वाले कांग्रेस के घोषणा पत्र ने उसकी सोच विचार को जनता के सामने रख दिया है और यह
साबित कर दिया है कि 'कांग्रेस का हाँथ देशद्रोहियों के साथ' इनके ऊपर पूरी तरह
से ठीक बैठता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' वाली घटना के बाद
जेएनयू पहुंचने से लेकर ग़ुलाम नबी आज़ाद, मणि शंकर अय्यर, संदीप दीक्षित समेत
तमाम नेताओं के बयानों ने देश को और संवैधानिक संस्थाओं को शर्मिंदा किया है। कांग्रेस ने
देशद्रोहियों को खुश करने लिए आफ्सा को कमजोर किये जाने और देशद्रोह कानून ख़त्म
किए जाने की बात कही है वह अपने आप में देश की सुरक्षा के खिलाफ उठाया गया खतरनाक
कदम साबित होगा ।
राष्ट्रीय सुरक्षा
पर समझौते की तैयारी
कांग्रेस ने अपने
चुनावी घोषणा पत्र में कहा है की अगर वह सरकार में आती है तो वह जम्मू और कश्मीर
में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (आफ्सा ) का मानवाधिकारो के मद्देनजर पुननिरिक्षण करेगी।
शायद कांग्रेस को सेना से ज्यादा आतंकवादियों के मानवाधिकारों की चिंता है।
कांग्रेस यह नजरअंदाज कर रही है
कि इसका कितना बुरा असर सेना के जवानो
के कार्य पर पड़ेगा जो वहां आतंकवादियों के साथ हर रोज सीधा मुकाबला करते है। इस कानून में कोई
भी छेड़छाड़ सेना को पाकिस्तान के तरफ से चलाए जा रहे छद्द्म युद्ध में कमजोर ही
करेगी। कांग्रेस का आतंकवादियों, अलगाववादिओं और देश विरोधी
शक्तियों के प्रति हमेशा से सहानुभूतिपूर्ण रवैया रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री
राजीव गाँधी ने टाडा हटाया, बाद की कांग्रेस की सरकार के द्वारा पोटा हटाया गया । इसी तरह से
कांग्रेस के द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा १२४ ए राजद्रोह के प्रावधान को हटाए
जाने का वायदा करना देश के अंदर घुन की तरह लगी राष्ट्र विरोधी ताकतों को समर्थन
और मजबूती देना है। भारत का नक्सलवाद, माओवाद और उनके समर्थन देने वाले
छद्द्म प्रबुद्ध वर्ग के विरुद्ध संघर्ष कमजोर होगा। सीआरपीसी के तहत भी
अभियोगाधीन आपराधिक मामलों में जमानत की बात इसी श्रंखला की कड़ी है।
अर्थनीति पर
दृष्टिहीनता
कांग्रेस अपने
घोषणा पत्र में कोई मजबूत आर्थिक नीति नहीं प्रस्तुत कर पाई है जिस 'न्याय' योजना कि बात
कांग्रेस कह रही है उसके लिए संसाधनों पर कांग्रेस के पास न तो जवाब है और न ही
भविष्य की कोई रणनीति। कांग्रेस ७२००० करोड़ रुपए की आर्थिक योजना के लिए मध्य वर्ग पर और
कर का बोझ डालने की बात कर रही है। इसके लिए कितनी अन्य योजना निरस्त करेगी यह अभी
नहीं बता रहे हैं फिर इसका बोझ प्रदेश सरकार भी वहन करेगी बिना उसकी
सहमति से केंद्र यह घोषणा नहीं कर सकता। भाजपा ने जीएसटी के अंतर्गत आम जनता कि
आवश्यकताओं की वस्तुओं पर टैक्स दर काफी काम की है यह बदल जाएगी। किसानों की
समस्याओं को लेकर क्या रोडमैप है कुछ नहीं बताया गया अलग किसान बजट कि घोषणा करने
से क्या होगा स्पष्ट नहीं है। वस्तु और सेवा कर को लेकर भी कांग्रेस एक रेट कि बात
करके आम जनता पर बोझ ही बढ़ाएगी। क्या शराब और खाद्यान्य पर एक ही कर होना चाहिए।
२२ लाख सरकारी नौकरियों की संख्या बेमानी है। केंद्र में केवल ५ लाख नौकरियां है और
सरकारी उद्यमों में वो रखवा नहीं सकते। रोजगार की समस्या का यह किसी प्रकार का
समाधान नहीं है।
स्वतंत्र
न्यायपालिका में सरकारी दखल
कांग्रेस ने अपने
घोषणा पत्र में कहा कि वह न्यायपालिका व्यवस्था में व्यापक बदलाव करेंगे ।
कांग्रेस की योजना है की एक बिल लेकर उच्चयतम न्यायलय को संवैधानिक अदालत में बदल
दिया और एक अपीलीय अदालत का निर्माण करके उच्च न्यायलय से फैसला दिए गए मामलों को
सुना जाए। ऐसी व्यवस्था का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि सारे मामले अंततः उच्यतम
न्यायलय में ही आकर समाप्त होंगे। इस नए प्रावधान से न्याय प्रक्रिया
लम्बी और जटिल हो जाएगी। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में न्यायायिक आयोग को
स्थापित करने की बात कही है जो उच्च और उच्चयतम न्यायालयों में न्यायाधीशों की
नियुक्ति करेगा। ऐसा कोई भी प्रावधान न्यायपालिका में हस्तक्षेप और असंवैधानिक
होगा। यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र न्यायपालिका को बड़ा नुक्सान
पहुंचाने कि तैयारी है।
मीडिया की
स्वंतत्रता पर प्रहार कि रूप रेखा खींची
एक सुझाव यह भी आया
है कि कांग्रेस कानून बदलेगी और प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया को कहेगी कि पत्रकारों के लिए
कोड ऑफ़ कंडक्ट लाए यह पत्रकारों की स्वंतत्रता पर सीधा प्रहार है। बिना व्यापक
विमर्श के यह खतरनाक होगा। देश भर में हजारों अख़बार, न्यूज़ चैनल और वेबसाइट है जिनकी
वैश्विक पहुंच है बहुत सी चीजे सेल्फ रेगुलेटरी होती जा रही है किसी भी लोकतंत्र
में मीडिया की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावां कांग्रेस का यह कहना है
कि जो लोग अख़बार चलाते हैं वे टीवी चैनल नहीं चला सकते और जो चैनल में है वो रेडिओ
नहीं चला सकते और अखबार नहीं चला सकते इस क्रॉस होल्डिंग को वो मोनोपोली मानेंगे
और कम्पटीशन कमीशन के तहत रेगुलेट करेंगे । यह बहुत पुरानी बात है और उन जगहों में
होती रही है जिन शहरों में एक अख़बार होता था अभी न्यूज़ चैनलों के अख़बार भी है और
रेडिओं और वेबसाइट भी चला रहे हैं। इसके अलावां जो लोग इस बिज़नेस में नहीं है
उन्हें भी मीडिया से बाहर कर दिया जाएगा।
कांग्रेस को अपने
घोषणा पत्र में स्पष्टीकरण की जरुरत तो है ही और उन चीजों से भी दूर रहने की जरुरत
है जो देश हित में नहीं है।
जनता इस मनोबृत्ति से अब सहमति नही
रखती है।
No comments:
Post a Comment