गोपाल कृष्ण अग्रवाल,
वर्ष 2017 में जब जीएसटी कर प्रणाली को लागू किया गया था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के पटल पर कहा था कि यह भारत की आर्थिक आजादी का दिन है। आज भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक 'एक राष्ट्र एक कर' लागू किया गया है। उससे पूर्व यूपीए की सरकार ने कई बार प्रयास किया था कि जीएसटी लागू किया जाए लेकिन वे सफल नहीं हुए। मोदी सरकार आने पर प्रदेशों को आश्वासन दिया गया कि केंद्र हर वर्ष 14% बढ़ोतरी के मापदंड के साथ प्रदेशों को जो कुछ भी कर में क्षति होती है तो उसे केंद्र पूर्ण करेगा। इस पर प्रदेशों और केंद्र के लगभग 16 करों को समाहित करके एक कर प्रणाली देश में लागू करने में केंद्र सफल हुआ।
मोदी सरकार ने शीघ्र जीएसटी लागू ही नहीं किया बल्कि केवल पांच वर्ष में उसे तकनीकी रूप से सरलता से स्थापित भी कर दिया। आज हर महीने सामान्यतया 2 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की कर आपूर्ति हो रही है, जबकि सरकार लगातार कर घटाती भी जा रही है। जीएसटी के अंतर्गत प्रदेश एवं केंद्र को सीजीएसटी/एसजीएसटी में 50/50 प्रतिशत कर का हिस्सा मिलता है और जो इसके अलावा केंद्र के पास आइजीएसटी के रूप में कर आता है उसका भी लगभग 41 प्रतिशत हिस्सा केंद्र प्रदेशों को दे देता है। इस बार नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफार्म द्वारा सरकार ने रेट ही कम नहीं किया बल्कि स्लैब भी कम कर दिए हैं। अब केवल दो स्लैब ही रखे हैं। आमजन की रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर या तो टैक्स जीरो है या 5 प्रतिशत ही। बाकी चीजों पर 18 प्रतिशत
कर है। 99 प्रतिशत सामान इन दो स्लैब में ही आ जाता है। इन रिफार्म द्वारा सरलीकरण
की व्यापक प्रक्रिया लागू की गई है। नए व्यापारियों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन मात्र तीन
दिन में कर दिया जाएगा और कर दाताओं के लगभग 90 प्रतिशत कर वापसी तुरंत कर दिए जाएंगे।
व्यापारी वर्ग इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से परेशान रहते
थे। उसकी विसंगतियों को भी खत्म किया गया है। जिन उत्पाद प्रणालियों में इनपुट टैक्स
क्रेडिट की समस्या थी, उन विसंगतियों को भी काफी हद तक दूर किया गया है। अब जीएसटी नेक्स्ट जेन सुधार केवल सरलीकरण ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक सुधार भी लेकर आए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को जीएसटी सुधारो के माध्यम से तोहफा देने की जो घोषणा की थी वह अब 22 सितंबर को नई जीएसटी सुधार प्रणाली लागू होने के साथ पूरी हो जाएगी। इस परिवर्तन के बाद देश विकसित भारत के लक्ष्य की तरफ और सशक्त कदमो से आगे बढ़ेगा।
सरकार की पैनी नजर इस पर भी रहेगी कि कम हुई कर दरों का लाभ व्यापारी वर्ग आम जनता तक अवश्य पहुंचाए। व्यापार के सरलीकरण में सबसे ज्यादा चुनौती अनुपाल के लिए होती है। देश में वैश्विक व्यापार क चुनौतियों के मद्देनजर, यह कर सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाएगा और प्रधानमंत्री के स्वदेशी के आह्वान को भी पूर्ण गति प्रदान करेगा।
यह सरलीकरण ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक सुधार भी है। सरकार ने रेट ही कम नहीं किए, बल्कि स्लैब भी कम कर दिए हैं।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल
फैलो मेंबर, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया