Thursday 22 October 2015

देश विकास के पथ पर विपक्ष को रास नहीं

                                                                                                                      गोपाल कृष्ण अग्रवाल
                                                                                                                     राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा

नई सरकार बने अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, देश की जनता को लगने लगा है कि अब देश की वागडोर एक ईमानदार और विकास पुरूष के हाथ में हैं। जिस तरह से मोदी जी के नेतृत्व ने भारत की विकास दरों को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया उसे देख विश्व के बड़े से बड़े पुँजिपतियों में भारत में निवेश करने की होड़ लग गयी है। इसका प्रमुख कारण भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था, दुसरे और देशों के तुलना में भारत में ज्यादा मुनाफा है और मोदी सरकार की स्पष्ट व्यापार नीति है। यूपीए के समय में व्यापारियों का विश्वास सरकार पर घट गया था, अब मोदी सरकार के समय यह लौट आया है। भारत में पढ़ा लिखा युवा बेरोजगार होकर निराश हो जाता था इस देश में 65 % युवाओं को यूपीए सरकार में रोजगार के लिए दर बदर भटकना पड़ता था। अब उनके लिए नए नए अवसर मिल रहे है। मोदी सरकार उनके लिए एक वरदान सिद्ध हुई है। हर क्षेत्र में विकास का डंका बज चुका है जिससे विपक्ष के होश उड रहे है। उनकी राजनीति दाव पर लगी है उसपर विराम लग चुका है, उन्हे भारत का विकास हजम नहीं हो रहा है। कांग्रेस 65 साल के बाद अब विकट स्थिति में है, अलग - अलग दावपेंच अपना रही है। दुनिया को तो भारत का विकास दिख रहा है पर राहुल गांधी जी को भारत की बढ़ती विकासदर दिखाई नहीं देती है।

1980 में अमेठी के किसानो की 65 एकड जमीन कांग्रेस ने हड़प ली, और किसानो से कहा कि वो साइकिल फैक्ट्री बनायेंगे, लोगो को रोजगार देंगें। और अब सच्चाई ये है कि आज भी उस जमीन पर ना तो कोई कारखाना लगा और न ही किसी को रोजगार मिला है और तो और उस जमीन को राजीव गांधी ट्रस्ट को दे दिया गया है। कांग्रेस का इतिहास देंखे तो एक के बाद एक घोटाले देश के सामने उजागर हुए। जनता का पैसा लूट कर पार्टी के राजनीतिक हलकों में पहुंचा दिया गया जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।

अभी हमारे सामने बिहार का महत्वपूर्ण चुनाव है। बिहार में इस बार विकास के लिए मतदान होगा। जातिवाद को खत्म कर विकास की राह पर चलने का फैसला बिहार की जनता का स्पष्ट दिख रहा है। जनता की बदलाव की इच्छा इस बार की बढती वोटिंग प्रतिशत से साफ नजर आ रही है। विधानसभा के पहले चरण में जनता ने लगभग 57 % मतदान किया है। जोकि 2010 में 50.85 % था। दुसरे चरण में 55.14 % मतदान किया। जोकि 2010 में 52 % था। पहले चरण में महिलाओं में अधिक उत्साह दिखा करीब 59.5 % महिलाओं ने मतदान में हिस्सा लिया है जबकि 54.5 % पुरूषों ने मतदान किया है। महिलाओं का अधिक मतदान करने का एक महत्वपूर्ण कारण है कि पूर्व में बिहार में जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के लाइसेंसों में वृद्धि हुई है उससे महिलाएं परेशान है। एक दशक पहले 779 शराब के लाइसेंस थे और अब संख्या 2360 की हो गयी है जनता दल की सरकार में शराब से राजस्व की हिस्सेदारी 2007 में 10.38 से बढकर वर्ष 2014-2015 में 18 % हो गई है जिसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में शराब बिक्री के खिलाफ महिलाओं के द्वारा वर्ष 2012-13 में दुकानों पर धरना देने के कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे।

नीतीश जी के राज्य में विकास का जो वादा था वह भी नहीं दिखता है। भागलपुर से पटना शहर को जोडने वाले 80 किमी. के राष्टीªय राजमार्ग पर किसी का ध्यान नहीं है। नीतीश कुमार की सरकार ने वर्ष 2005-06 में एक लाख करोड़ के निवेश और जो 2350 मेगावाट क्षमता वाले एनटीपीसी थर्मल पावर स्टेशन का वादा किया था आज 10 साल बाद भी कुछ नजर नहीं आता है। औद्योगिक परिदृश्य मुंगेर, बेगुसराय, समस्तीपुर, गया जैसे शहरों में बहुत अलग नहीं है। समस्तीपुर में चीनी मिल बंद होने से 2000 परिवारों का रोजगार छिन गया है। जनता को इस बार विकास के लिए मोदी सरकार पर भरोसा है। लालू जी को तो सिर्फ जातिवाद और गौमांस जैसे मुद्दे पर राजनीति करना है। अभी उन्होने बीफ पर जो एक विवादित बयान दिया है कि, हिन्दू भी बीफ खाते है, ऐसा कहना हिन्दू समाज के लिए बडी पीडा देने वाली बात है। एक बात हमें ध्यान रखनी है। कि हिन्दू समाज गाय को पूज्य मानता है इसलिए गौमांस त्याज मानता है। दूसरी तरफ मुस्लिम सुअर को गंदा मानते है इसलिए उसके मांस का भक्षण नहीं करते। दोनो में वैचारिक असमानता है जिसके कारण गौमांस और सुअर के मांस भक्षण में भेद है।


साहित्यकारो के अवार्ड लौटाने पर भी चर्चा जोरो पर है। यह एक विशेष विचारधारा के लोंगो के घटते प्रभाव के मद्ददेनजर हो रहा है। साहित्यिक क्षेत्र का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। विचारों में बदलाव एंव प्रगति ही जीवन का लक्षण है। किसी एक विचारधारा विक्षेष का प्रभाव सामाजिक जीवन पर नहीं रह सकता है। बदले राज्य परिपेक्ष्य में नई विचारधारा सामने आयेगी ही।

gopal.agarwal@bjp.org

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